चन्द्रशेखर जोशी
कौमी एकता की प्रतीक और देश की प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस मनाने हेतु ग्राम पूछडी नई बस्ती में महिला एकता मंच द्वारा तैयारी बैठक आयोजित की गई ।
बैठक में 9 जनवरी को ग्राम पूछड़ी नई बस्ती में फातिमा शेख के जन्मदिन के अवसर पर आम सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में मंच के सहसंयोजक सरस्वती ने कहा कि फातिमा शेख के नाम से नाम से देश के बहुत ही कम लोग परिचित हैं।
उन्होंने बताया कि ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले की महिलाओं और बहुजनों को शिक्षित करने की मुहिम कट्टरपथियों को बर्दास्त नहीं हुयी और उन्होंने फुले दम्पत्ति के पिता पर दबाव बनाकर उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे कठिन समय में उनके मित्र उष्मान शेख और उनकी बहन फातिमा शेख ने न केवल फुले दम्पत्ति को अपने घर में शरण दी बल्कि उन्हें महाराष्ट्र के पूना पैठ (पूना) में लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के लिए जगह भी दी।
कौशल्या ने कहा कि उस दौर में शूद्रों और महिलाओं को शिक्षा पाने का अधिकार नहीं था। शूद्र की परछाई जिस कुएं पर पड़ जाती थी तथाकथित उच्च जाति के लोग उस कुएं का पानी भी नहीं पीते थे। ऐसे कठिन समय में फातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों और शूद्रों को पढ़ाने की शुरुआत की। फातिमा शेख स्कूल में न केवल पढ़ाने का काम करती थीं बल्कि वे घर-घर जाकर लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए, उनके स्कूल में आने के लिए भी प्रोत्साहित भी करती थीं। इस कारण उन्हें भी सावित्रीबाई फले की तरह ही दकियानूसी-पोंगापंथी समाज के आक्रोश का सामना करना पड़ता था।
शाहिस्ता ने कहा कि फातिमा शेख ने देश व समाज की बेहतरी के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सरकारों की पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण हमारी इन नायिकाओं को समाज व इतिहास में वो जगह नहीं मिली जिसकी वे हकदार हैं। उन्होंने क्षेत्र की जनता से कार्यक्रम में भागीदारी की अपील की।
बैठक में शाहिस्ता ,फरजाना, काशिस, शाहजहां ,महक, सरस्वती जोशी,कौशल्या समेत दर्जनों महिलाएं उपस्थित रहीं।


