रामनगर – लोकभाषा कुमाउनी गढ़वाली बोली के विकास के लिए गठित हमरि दुदबोलि हमरि पछ्यांण ग्रुप की साप्ताहिक बैठक दुर्गा मंदिर लखनपुर में सम्पन्न हुई।बैठक में शम्भूदत्त तिवारी ने कुमाउनी बोलि के विभिन्न मुहावरों के उत्तपत्ति पर किस्से सुनाये।उन्होंने कहा कुमाउनी का एक प्रसिद्ध आशीष है सियार की बुद्धि हो यह एक शानदार जंगल कथा पर आधारित है।नवेंदु मठपाल ने 80 बर्ष पूर्व प्रकाशित कुमाउनी पत्रिका अचल में छपी विभिन्न कुमाउनी कविताओं का सस्वर पाठ किया।
भुवन पपनै ने बसन्त पर अपनी कविता रितु बसन्त है गऐछ देणि, धरति आज बणी दूल्हेणि सुनाई।
हीरा बल्लभ त्रिपाठी ने कहा आज सोशल मीडिया एवम प्रचार के अन्य माध्यमों में उत्तराखंड की लोकभाषाओं को महत्व देना वक़्त की आवश्यकता है। उन्होंने शराब के दुष्प्रभाव पर स्वरचित कविता भी सुनाई।बैठक में तय किया गया कि इस अभियान को व्यापक रूप देने के लिए सघन अभियान चलाया जाएगा।निखिलेश उपाध्याय ने कहा वे बचपन से पहाड़ से बाहर रहे परन्तु बचपन में ही मां से जो दुदबोलि उनको सीखने को मिली उसके कारण ही आज तक वे अपनी भाषा, संस्क्रति से जुड़ी हैं।उन्होंने मानिला देवी पर स्वरचित कविता भी सुनाई।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नवीन तिवारी ने बचपन में उनकी आमा द्वारा सुनाई गई कुमाउनी लोककथाओं को सुनाया।उन्होंने कहा बचपन में संयुक्त परिवार के कारण उनकी कुमाउनी भाषा आज सम्रद्ध है।कार्यक्रम के अंत में कुमाउनी गढ़वाली की प्रसिद्ध साहित्यकार वीणापाणि जोशी के निधन पर दो मिनट का शोक व्यक्त करते हुए उनको श्रधांजलि व्यक्ति की गई। इस अवसर पर मनीष कुमार,बिशम्बरदत्त पन्त,कैलाश चन्द्र त्रिपाठी,चित्रेश त्रिपाठी,आदि उपस्थित रहे।