उत्तराखंड में सियासी संग्राम के बीच हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और विधायक उमेश शर्मा के बीच विवाद को लेकर स्वतः संज्ञान लिया और इस मामले की सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूर्व और वर्तमान सभी विधायकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की रिपोर्ट मांगी, ताकि छह महीने के भीतर इस पर निर्णायक कदम उठाया जा सके। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि विधायक को वाई प्लस सिक्योरिटी क्यों दी गई और पूर्व विधायक का सरकारी आवास अब तक खाली क्यों नहीं कराया गया।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इस पर आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। सरकार ने बताया कि एक समिति बनाई गई है, जो मामले की जांच कर जल्द निर्णय लेगी। इसके अलावा, सरकार ने सूचित किया कि सिंचाई विभाग के बंगले को राजनीतिज्ञों के आवासीय उपयोग के लिए दिए जाने के आदेश को रद्द करने के लिए संबंधित सचिव को निर्देशित किया गया है।
कोर्ट ने इस दौरान अभियोजन अधिकारियों से भी जवाब तलब किया, जिन्होंने आरोपियों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दी थी। साथ ही, कोर्ट को यह भी बताया गया कि पूर्व विधायक चैंपियन को सरकारी भवन का किराया ₹9,209 देना पड़ता है, जबकि विधायक उमेश शर्मा को केवल ₹1,693 देना पड़ता है।
यह विवाद और फायरिंग की घटना हाल ही में रुड़की में हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के लोग एक-दूसरे की जान लेने के लिए तैयार हो गए थे। कोर्ट ने इस घटना का वीडियो देखने के बाद स्वतः संज्ञान लिया और मामले में हस्तक्षेप किया। दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने कहा कि जनसेवकों को इस तरह के कार्यों से बचना चाहिए था, क्योंकि इस घटना ने राज्य की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुँचाया है।
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