ज्ञानवापी मामला : वाराणसी कोर्ट ने खारिज की ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग, हिंदू पक्ष बोला- हाईकोर्ट जाएंगे

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वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी केस में शुक्रवार को जिला जज की अदालत का बड़ा आदेश आया। ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग अदालत ने खारिज कर दी। हिंदू पक्ष ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की थी जिसे जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने खारिज कर दिया है। कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण के मामले में बहस पूरी होने के बाद ये फैसला सुनाया गया। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्तूबर को होगी।


हाईकोर्ट में चुनौती देंगे
कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि जिला जज के फैसले को वो हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।  शिवलिंग की आकृति की कार्बन डेटिंग कराने के आवेदन पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में 12 अक्तूबर को सुनवाई हुई थी। सुनवाई के बाद आदेश के लिए 14 अक्तूबर यानि आज की तिथि नियत की थी।

ज्ञानवापी परिषद से बरामद कथित शिवलिंग जिसके कार्बन डेटिंग की मांग अदालत ने खारिज की है।


14 अक्टूबर की तिथि तय की थी
12 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया ने अपना पक्ष रखा फिर वादिनी संख्या 2 से 5 तक के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने प्रति उत्तर में हिंदू पक्ष की दलीलें पेश की। जबकि वादिनी संख्या एक के अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने कोई भी दलील देने से इनकार कर दिया तब अदालत ने आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी।

अंजुमन इंतजामिया की ये थी दलील
इस मामले में अंजुमन की तरफ से विरोध करते हुए दलील में अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने कहा कि 16 मई को सर्वे के दौरान मिली आकृति के बाबत दी गई आपत्ति का निस्तारण नहीं किया गया और मुकदमा सिर्फ श्रृंगार गौरी के पूजा और दर्शन के लिए दाखिल किया गया है। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मिली आकृति को सुरक्षित व संरक्षित करने का आदेश दिया है। वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है कार्बन डेटिंग जीव व जन्तु की होती है पत्थर की नहीं हो सकती। क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता। कहा कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती व साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है।

ये थी हिदू पक्ष की दलील
प्रतिउत्तर में हिदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन,विष्णु जैन,सुभाष नन्दन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी ने दलील में कहा कि वाद में दृश्य व अदृश्य देवता की बात कही गई है सर्वे के दौरान वजू स्थल स्थित हौज से पानी हटाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी ऐसे में यह पार्ट ऑफ शूट है यानि दावे का हिस्सा है,बरामद आकृति शिवलिंग है या फव्वारा यह वैज्ञानिक जांच से ही स्पष्ट होगा। ऐसे में आकृति को बिना नुकसान पहुंचाए ,हिदुओं की आस्था को चोट पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक जांच भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ टीम से कराई जाए ताकि यह तय हो सके कि आकृति शिवलिंग है या फव्वारा। अदालत में मौजूद वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने प्रतिउत्तर में दलील देने से इंकार कर दिया,अदालत ने दोनों पक्षो को सुनने के बाद आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी थी।

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