उपपा अधिवेशन….
एकजुटता के संकल्प के साथ उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का अधिवेशन शुरू
पहले दिन खुला सत्र में बिरादाराना संगठनों के प्रतिनिधियों ने किया सम्बोधित
रामनगर (नैनीताल)। कॉर्बेट हलचल
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) का दो दिवसीय छठा अधिवेशन शुक्रवार को यहां अग्रवाल सभा भवन सभागार में जनगीतों और नुक्कड़ नाटक के साथ शुरू हुआ। पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी के संचालन में केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने अधिवेशन के खुले सत्र की औपचारिक घोषणा की।
राज्य में सशक्त राजनैतिक विकल्प की जरूरत
अपने संबोधन में तिवारी ने तराई भाबर से लेकर सुदूर पहाड़ के बुग्यालों तक एक व्यवस्थित व संघर्षशील राजनैतिक पार्टी की परिकल्पना को साकार करने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य को आज भाजपा कांग्रेस के विरुद्ध सशक्त राजनैतिक विकल्प की जरूरत है। उपपा इस मापदंड पर खरा उतरने का संकल्प लेती है।
कांशीराम की तरह जनमानस बदलना होगा
दैनिक हिन्दुस्तान लखनऊ के पूर्व संपादक नवीन जोशी ने उत्तराखंड में आंदोलनकारियों द्वारा वोट की राजनीति में न आकर चुनावी मैदान छोड़ने को बड़ी भूल बताते हुए कहा कि जिस प्रकार भीमराव अंबेडकर की वैचारिक विरासत को पुस्तकालयों से निकालकर कांशीराम ने साईकिल यात्राओं के माध्यम से गांव गांव पहुंचाकर बसपा का आधार वोट खड़ा किया, उसी तर्ज पर पर तराई के गली मुहल्ले से लेकर पहाड़ के दुर्गम गांवों तक जनता का मानस बदलना पड़ेगा। लोग आंदोलन के लिए तो आंदोलनकारियों को याद करते हैं, लेकिन चुनाव के समय उन्हीं पार्टियों के पास चले जाते हैं, जिनके खिलाफ वह पांच साल तक लड़ते हैं। संघर्षों के लिए बने इस भरोसे को वोटों के भरोसे में भी बदलने की जरूरत है।

नागपुर से संचालित होती है ये सरकार
प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की शीला शर्मा ने महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की। सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम हुसैन ने कहा कि प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का आलम यह है कि महकमे की मुखिया भी जरूरत के समय अपना इलाज देहरादून के प्राइवेट अस्पताल में करवाती है। इससे लोगों को सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा सरकार में चेहरे भले ही पहाड़ के दिखते हों, लेकिन ये लोग नागपुर से संचालित होते हैं।
विश्व बैंक की नीतियों पर ही बन रहे कानून
महिला एकता मंच की ललिता रावत ने सभी संगठनों से जनता के संघर्षों को आगे बढ़ाने के लिए एकजुटता की अपील की। भारतीय किसान मोर्चा के बल्ली सिंह चीमा ने कहा कि लंबे समय तक चले किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को बेनकाब कर दिया है। देश में कानून भले ही सरकारें बना रहीं हैं, लेकिन नीतियां वहीं हैं जो विश्व बैंक के इशारे पर बनी हैं।
आईटी सेल को चुनौती दे सकती है जनएकता
मजदूर सहयोग केंद्र के मुकुल ने कहा कि आजादी के बाद से ही हाशिये पर रहे मजदूर नए श्रम कानूनों के बाद पूरी तरह गुलामी की जिंदगी जीने को अभिशप्त हो जायेगा। उत्तराखंड के सिडकुल में युवाओं के सपने दम तोड़ रहे हैं, लेकिन फैक्ट्रियां सब्सिडी का लाभ लेकर चंपत हो रही हैं। मजदूरों के संघर्ष सब जगह चल रहे हैं। उन्हें एक सूत्र में जोड़ने की जरूरत है। वन पंचायत मोर्चा के तरुण जोशी ने कहा सत्ता बाहर से दिखने में कितनी भी मजबूत दिखती हो, लेकिन है कमजोर। आईटी सेल और झूठ की बुनियाद पर खड़ी इस सरकार को एकजुटता के दाम पर तार्किक चुनौती दी जा सकती है।
वैचारिक आदान प्रदान के मंथन राह भी निकालेंगे
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के अध्यक्ष पीपी आर्य ने कहा शासन सत्ता पूरी तरह बेलगाम होकर पांच किलो राशन में लोगों के सभी नागरिक अधिकारों को खत्म करने पर तुली है। अपने भाग्य का फैसला करने के लिए जनता के संघर्षों को चेतना से लेस करना पड़ेगा। वैचारिक आदान प्रदान के ऐसे ही मंथनों से आगे की राह भी निकलेगी।
मौजूदा पर्यटन से पहाड़ बेदखल
किसान मोर्चा के ललित उप्रेती ने नया विपक्ष खड़ा कर सरकार को कंट्रोल करने की जरूरत बताई, जिससे सत्ता के संरक्षण में पल रहे पुल्कित आर्य, हाकम सिंह और चंदन जैसे लंपटों से समाज को बचाया जा सके। पत्रकार पलाश विश्वास ने कहा कि मौजूदा पर्यटन से पहाड़ को बेदखल कर दिया गया है बद्रीनाथ, केदारनाथ तक को टूरिस्ट पैलेस बनाकर रख दिया है। आपदा और जलवायु के बदलाव मुद्दा नहीं बन पा रहे हैं। राजनैतिक प्रतिबद्धता के दम पर इन सवालों को हल किया जा सकता है।
आज नहीं चेते तो बचे खुचे अधिकार भी नहीं मिलेंगे
एडवोकेट जेसी आर्य ने बढ़ रहे दमन के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाने की वकालत करते हुए कहा कि घास काटने, अधिकार मांगने और बोलने तक पर हो रहे निरंकुश दमन के खिलाफ आज खड़े नहीं हुए तो आने वाले समय में जल, जंगल, जमीन पर बचे खुचे अधिकार भी समाप्त हो जायेंगे। इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला ने कहा कि मजदूरों की हालत देश में इतनी खराब है कि उनको संरक्षण देने वाले मामूली बचे खुचे कानून भी सरकार नहीं मानती। इस कानूनों से आने वाला कोर्ट का फैसला तक लागू नहीं किया जाता। अब आने वाले नए श्रम कानून तो मजदूर के लिए साक्षात फांसी का फंदा है।
नेता के बच्चे करें नौकरी, गरीबों के मसाज
समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि सरकार ने पर्यटन के नाम पर पूरे उत्तराखंड को मसाज और स्पा सेंटर के जरिए देह व्यापार के धंधे में झोंक दिया है। नौकरियों के घोटाले बता रहे हैं कि नेता अपने बच्चों और चहेतों को नौकरियों में लगा रहे हैं। जबकि गरीबों के बच्चों को धन्नासेठों की तेल मालिश में झोंका जा रहा है। उन्होंने रोजगार को सरकार की जिम्मेदारी और लोगों का मौलिक अधिकार, दोहरी शिक्षा खत्म कर एक समान शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कानून में संशोधन करने की मांग की। रूपेश कुमार ने पहाड़ और तराई के बंटवारे को पहाड़ के लिए घातक बताते हुए कहा कि आज आधे से ज्यादा पहाड़ की आबादी तराई में रह रही है। पहाड़ के युवा सिडकुल में अपना शोषण कराने को मजबूर हो रहे है। इस सबके खिलाफ एक साझा लड़ाई की जरूरत है।
इनकी रही मौजूदगी
खुले सत्र में पार्टी के देहरादून जिलाध्यक्ष प्रतीक बहुगुणा, नैनीताल जिलाध्यक्ष प्रकाश उनियाल, महासचिव नैनीताल
लालमणि, महासचिव दून सीपी शर्मा, रीता इस्लाम काठगोदाम, विशन दत्त सनवाल, भूपाल सिह धपोला, विनोद जोशी हल्द्वानी, डीडी सती रामनगर, नारायण राम, बिहारी लाल, दीक्षा सुयाल, विनोद जोशी हल्द्वानी, बिष्णु शंकर अग्रवाल रामनगर, नरेश नौडियाल पौड़ी, राम सिंह खनी हल्द्वानी, मनमोहन अग्रवाल रामनगर, भुवन पनुवाघोखन, पृथ्वीपाल, प्रदीप, मनोज कुमार, पुष्पा देवी, नन्दकिशोर, अर्जुन कुमार, जितेन्द्र कुमार, प्रेरणा गर्ग सलीम मलिक रामनगर, जगदीश ममगई चौखुटिया, हिमांशु भारद्वाज देहरादून, हीरा देवी अल्मोड़ा, इन्द्र सिंह मुक्तेश्वर, राजेन्द्र सिंह नैनीसार, प्रकाश जोशी द्वाराहाट, जसवन्त सिंह गैरसैण, कोस्तुबानन्द भट्ट जागेशवर आदि मौजूद थे।


