सुप्रीम कोर्ट दे चुका उत्तराखंड के पक्ष में फैसला, लेकिन यूपी लगाई पुनर्विचार याचिका
राज्य सरकार साल 2012 से लड़ रही है अपने हिस्से की बिजली के लिए लड़ाई
देहरादून। कॉर्बेट हलचल
वर्ष 2012 से उत्तराखंड सरकार टिहरी हाइड्रो पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) की परियोजनाओं से पैदा होने वाली बिजली में 25 फीसदी हिस्सेदारी के लिए अब आर पार की जंग के मूड में है। सुप्रीम कोर्ट में अपनी इस लड़ाई को निर्णायक मुकाम पर पहुंचाने के लिए सरकार ने पूर्व महान्यायवादी मुकुल रोहतगी को नियुक्त किया है।
बता दें कि इस वाद पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पक्ष में निर्णय दे दिया था। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर दी।
अनुभवी अधिवक्ता करेंगे पैरवी
रोहतगी के नेतृत्व में अनुभवी अधिवक्ताओं की एक टीम सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसकी पुष्टि की है। प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2012 से टीएचडीसी की परियोजनाओं से पैदा होने वाली बिजली में अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रही है।
राज्य की सुस्ती के चलते लंबी खिंची लड़ाई
उत्तराखंड सरकार की अब तक की सुस्ती के चलते यह अदालती लड़ाई लंबी खिंचती जा रही है। पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार (जो राज्य सरकार के विद्युत लोकपाल भी हैं) का कहना है कि उत्तराखंड सरकार यदि अदालत में मजबूती से पैरवी करेगी तो फैसला उसके हक में आना तय है।
हिस्सेदारी का कानूनी हक, एक पाई भी नहीं मिली
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में केंद्र की 75 और यूपी की 25 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उपक्रम है। प्रदेश सरकार का तर्क है कि उत्तरप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 47(3) के अनुसार, जिस राज्य में जो परिसंपत्ति होगी, उस पर उस राज्य का भी हक होगा। उत्तरप्रदेश से विभाजन की तिथि तक कंपनी में किए गए पूंजीगत निवेश के आधार पर इसे उत्तराखंड को हस्तांतरित होना चाहिए, क्योंकि इसका मुख्यालय उत्तराखंड में है, लेकिन परियोजना से राज्य को एक पाई भी नहीं मिली है।
टीएचडीसी की 10 परियोजनाएं
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को राज्य में 10 जल विद्युत परियोजनाएं आवंटित हैं। इनमें से दो परियोजनाएं टिहरी बांध और कोटेश्वर में बिजली उत्पादन कर रही हैं।
70 फीसदी परियोजनाएं राज्य में
अपनी हिस्सेदारी के पक्ष में राज्य सरकार का तर्क है कि टीएचडीसी की 70 फीसदी परियोजनाएं राज्य में स्थापित हैं। इनसे पैदा होने वाली पुनर्वास, कानून व्यवस्था, सामाजिक व पर्यावरणीय संबंधी चुनौतियों का सामना उत्तराखंड राज्य को ही करना पड़ता है, लेकिन बदले में उसे कुछ नहीं मिल रहा।
सीएम धामी पीएम से कर चुके अनुरोध
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी टीएचडीसी में हिस्सेदारी का मसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उठा चुके हैं। पीएम को सौंपे पत्र में उन्होंने वर्ष 2012 में तत्कालीन अटॉर्नी जनरल के उस परामर्श का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि टीएचडीसी की परिसंपत्ति में उत्तराखंड का हक है।
इनका कहना है….
प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के साथ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी व अन्य कोर्ट में उत्तराखंड के पक्ष में पैरवी करेंगे। यदि फैसला उत्तराखंड के पक्ष में आता है तो इससे राज्य को सालाना 2000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है।
– आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, ऊर्जा