29 मई 1984 को एक ऑपरेशन में दब गई थी पूरी बटालियन
मंगलवार सुबह शव मिलने की उम्मीद, रानीबाग में होगा अंतिम संस्कार
हल्द्वानी/नई दिल्ली। सियाचिन ग्लेशियर में साल 1984 में हिमस्खलन में दबकर शहीद हुए रानीखेत निवासी लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद मिला है। पार्थिव शरीर मिलने की सूचना से परिजनों के जख्म एक बार फिर हरे हो गए। प्रशासन के मुताबिक शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को हल्द्वानी में उनके आवास पर पहुंचने की संभावना है।
ऑपरेशन मेघदूत में हिमस्खलन में दबी थी पूरी बटालियन
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत बिन्ता हाथीखुर गांव निवासी लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला 1971 में कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में 19 जवानों का दल ऑपरेशन मेघदूत के लिए निकला था। 29 मई को भारी हिमस्खलन से पूरी बटालियन दब गई थी, जिसके बाद सभी को शहीद घोषित कर दिया गया था।
शहादत के समय 28 साल के थे चंद्रशेखर
29 मई 1984 को जब उक्त हादसा हुआ, उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 साल थी। 14 अगस्त की (शनिवार) रात शहीद की पत्नी शांति देवी को फोन से जानकारी मिली कि शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद हुआ है। सूचना मिलने पर रविवार को एसडीएम मनीष कुमार सिंह और तहसीलदार संजय कुमार समेत प्रशासन की टीम हल्द्वानी स्थित रामपुर रोड डहरिया में सरस्वती विहार में उनके घर पहुंचे और शोक व्यक्त किया।
मंगलवार तड़के शव मिलने की उम्मीद
एसडीएम ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए परिजनों को ढांढस बंधाया। जानकारी के मुताबिक सोमवार शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर हल्द्वानी पहुंचने की उम्मीद है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर किया जाएगा। घाट पर किया जाएगा।


