आयुष्मान में मुफ्त इलाज के सत्यापन के बाद ही अस्पताल को क्लेम का भुगतान

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बदलाव…
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पतालों को जारी किए निर्देश
पूर्णतया मुफ्त उपचार न करने की शिकायत पर उठाया कदम

देहरादून। कॉर्बेट हलचल
उत्तराखंड में आयुष्मान योजना में पूर्णतया मुफ्त इलाज न मिलने की शिकायत पर सरकार ने इसके नियमों में बदलाव किया है। अब अस्पतालों को क्लेम का भुगतान तभी होगा, जब मरीज या उसके तीमारदार यह सत्यापित करेंगे कि उसे पूर्णतया निशुल्क इलाज मिला है। पिछले 4 सालों में कई लाभार्थियों के पूर्णतया निःशुल्क उपचार नहीं मिलने की शिकायतों पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने हस्तक्षेप कर लाभार्थियों से ली गयी धनराशि को चिकित्सालय से वापस भी कराया है।

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राज्य में आयुष्मान योजना की चौथी वर्षगांँठ पर आयोजित आरोग्य मंथन-4 में योजना के क्रियान्वयन को पारदर्शी बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि दो अक्टूबर, 2022 से रोगी के इलाज के बाद लाभार्थी से सत्यापन प्रमाण-पत्र लिया जायेगा कि इलाज में चिकित्सालय द्वारा रोगी का उपचार पूर्णत नि:शुल्क किया गया है।


राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से बीते 28 सितम्बर को इस सम्बन्ध में सभी अस्पतालों को आदेश जारी किए गए हैं। आदेश के अनुसार चिकित्सालयों द्वारा लाभार्थी के इलाज के बाद क्लेम प्रस्तुत करते समय लाभार्थी का सत्यापन प्रपत्र तथा इसके अतिरिक्त चिकित्सालय का प्रमाण-पत्र दाखिल किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।

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सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी सत्यापित करेगा कि चिकित्सालय द्वारा योजना के अन्तर्गत निःशुल्क उपचार किया गया है, चिकित्सालय द्वारा उपचार हेतु कोई धनराशि नही ली गयी है तथा चिकित्सालय द्वारा बाहर से भी कोई दवाई अथवा उपचार सम्बन्धी अन्य सामग्री लाभार्थी से नहीं मंगायी गयी है। इस सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी यह भी बतायेगा कि उसे उपचार से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों (यथा डिस्चार्जसमरी, जांच/परीक्षण की रिपोर्ट्स, उपचार का बिल जो चिकित्सालय द्वारा क्लेम हेतु दाखिल किया जायेगा आदि) को चिकित्सालय द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है। सत्यापन प्रपत्र में लाभार्थी यह भी प्रमाणित करेगा कि यह प्रपत्र उसके स्वयं (अथवा परिवार के सदस्य) ने भरा है और चिकित्सालय के किसी स्टाफ ने नहीं भरा।

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चिकित्सालय द्वारा इस प्रमाण-पत्र में यह भी बताया जायेगा कि डिस्चार्ज के पश्चात लाभार्थी को आवश्यकतानुसार 15 दिनों तक की अवधि की दवाईयाँ निःशुल्क उपलब्ध करा दी गयी हैं। चिकित्सालय द्वारा प्रमाण-पत्र में यह भी उल्लेख किया जायेगा कि लाभार्थी के उपचार पर कितना खर्च आया और अब 5 लाख रूपये के वॉलेट में कितनी धनराशि शेष है।