रामदेव की टिप्पणी पर बवाल, महुआ बोलीं- अब पता चला सलवार-सूट में क्यों भागे थे बाबा

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महाराष्ट्र के योग शिविर में महिलाओं पर टिप्पणी के लिए बाबा की तीखी आलोचनाएं

नई दिल्ली। योगगुरु बाबा रामदेव महाराष्ट्र के ठाणे में महिलाओं पर टिप्पणी को लेकर इन दिनों सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों एक योग शिविर में महिलाओं पर बाबा की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी जमकर आलोचना हो रही है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल से लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत तक उन पर हमला कर चुके हैं। अब टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी महिलाओं के खिलाफ उनकी टिप्पणी की आलोचना की है।

बाबा के दिमाग में स्ट्रैबिस्मस हुआ

महुआ ने चुटकी लेते हुए कहा, अब पता चल रहा है कि बाबा रामलीला मैदान से महिलाओं के कपड़ों में क्यों भागे थे। उनका कहना है कि उन्हें साड़ी, सलवार और….पसंद है। उनके दिमाग में स्ट्रैबिस्मस हो गया है, जो उनके विचारों को एकतरफा बना देता है। 

देश से माफी मांगें रामदेव : स्वाति मालीवाल

इससे पहले दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी इस बयान की निंदा की है। उन्होंने वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर साझा करते हुए कहा, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री की पत्नी अमृता फडणनीस के सामने स्वामी रामदेव द्वारा की गई टिप्पणी अमर्यादित और निंदनीय है। इस बयान से सभी महिलाएं आहत हुई हैं, बाबा रामदेव को इस बयान पर देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए।

राउत ने पूछा- अमृता ने विरोध क्यों नहीं किया?

उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना नेता संजय राउत ने पूछा, अमृता फडणवीस ने टिप्पणियों का विरोध क्यों नहीं किया? मीडिया से बातचीत में राउत ने कहा, पहले राज्यपाल शिवाजी पर अपमानजनक टिप्पणी करते हैं, फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के गांवों को अपनी राज्य की सीमा में मिलाने की धमकी देते हैं, अब बीजेपी प्रचारक रामदेव महिलाओं का अपमान करते हैं, तो सरकार चुप रहती है। क्या सरकार ने अपनी जुबान दिल्ली के पास गिरवी रख रखी है?

क्या कहा थाबाबा रामदेव ने?

इन दिनों वायरल हो रहे वीडियो में बाबा रामदेव कहते हुए सुनाई दे रहे हैं, बहुत  बदनसीब हैं आप। सामने के लोगों को साड़ी पहनने का मौका मिल गया, पीछे वालों को मिला ही नहीं। आप साड़ी पहन के भी अच्छी लगती हैं, सलवार सूट में भी अमृता की तरह अच्छी लगती हैं और मेरी तरह कोई ना भी पहने तो भी अच्छी लगती हैं। अब तो लोग लोक लज्जा के लिए पहन लेते हैं। बच्चों को कौन कपड़े पहनाता है पहले। हम तो आठ दस सालों तक तो ऐसे ही नंगे घूमते रहते थे। ये तो अब जाकर पांच-लेयर बच्चों के कपड़ों पर आई है।

 

 





 




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