सतत् विकास के लक्ष्य पाने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू

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मुख्यमंत्री ने सचिवालय में सतत् विकास लक्ष्य संबंधी वीडियो का विमोचन किया
कहा, सतत् विकास लक्ष्य की रैंकिंग में पहले स्थान पर आने को बहुत प्रयास जरूरी

देहरादून। कॉर्बेट हलचल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में सतत् विकास लक्ष्यों की 7वीं वर्षगांठ पर सतत् विकास लक्ष्य हस्ताक्षर अभियान शुरू किया। उन्होंने एसडीजी से संबंधित वीडियो का विमोचन भी किया।

सतत् विकास लक्ष्य पाने में जनभागीदारी जरूरी
इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि 2030 तक इन 17 सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभागों को रौडमैप के हिसाब से आगे बढ़ना होगा। इसके लिए जनता की भागीदारी के साथ सामाजिक संस्थाओं और विभिन्न संस्थानों का भी पूरा सहयोग लिया जाए। सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संतुलन के साथ समावेशी विकास जरूरी है।

सतत् विकास के लक्ष्य पाने में राज्य चौथे नंबर पर
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत् विकास के लक्ष्य पाने में राज्य की रैंकिंग में सुधार हुआ है, 2018 में उत्तराखण्ड सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में 10वें स्थान पर था, जबकि अभी चौथे स्थान पर है। प्रदेश को प्रथम स्थान पर लाने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पास प्राकृतिक संपदाओं का भण्डार है। इन संपदाओं का बेहतर तरीके से सदुपयोग करना होगा। उद्योगों के क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड में अपार संभावनाएं हैं।

सतत विकास के 17 लक्ष्य
सीएम धामी ने कहा कि सतत विकास के 17 लक्ष्य रखे गये हैं। भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण तथा सतत कृषि को बढ़ावा देना। स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन तंदुरुस्ती को बढ़ावा देना। समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन शिक्षा-प्राप्ति के अवसरों को बढ़ावा देना।लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं और बालिकाओं का सशक्तिकरण करना । सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना। सभी के लिए किफायती, भरोसेमंद, सतत और आधुनिक ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करना। सभी के लिए सतत, समावेशी और संधारणीय आर्थिक विकास, पूर्ण और लाभकारी रोजगार और उचित कार्य को बढ़ावा देना। समुत्थानशील अवसंरचना का निर्माण करना, समावेशी और संधारणीय औद्योगीकरण को बढ़ावा देना और नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना । राष्ट्रों के अंदर और उनके बीच असमानता को कम करना । शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, समुत्थानशील और संधारणीय बनाना। सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना । जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तात्कालिक कार्रवाई करना। सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्रीय संसाधनों का संरक्षण करना और इनका संधारणीय तरीके से उपयोग करना । स्थलीय पारिस्थिकी-तंत्रों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना और इनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना, वनों का सतत तरीके से प्रबंधन करना, मरुस्थल-रोधी उपाय करना, भूमि अवक्रमण को रोकना और प्रतिवर्तित करना और जैव-विविधता की हानि को रोकना । सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी सोसाइटियों को बढ़ावा देना, सभी को न्याय उपलब्ध कराना तथा सभी स्तरों पर कारगर जवाबदेह और समावेशी संस्थाओं का निर्माण करना एवं कार्यान्वयन के उपायों का सुदृढ़ीकरण करना और सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी का पुनरुद्धार करना शामिल है ।

ये अधिकारी रहे मौजूद
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव श्री आर.मीनाक्षी सुदंरम, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय,एडिशन सीईओ सीपीपीजीजी डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।