उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अगरतला में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद यह मामला नस्लीय भेदभाव से जोड़कर देखा जाने लगा है। इसी बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। हालांकि, देहरादून पुलिस ने हत्या को नस्लीय टिप्पणी से जोड़ने से इनकार किया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड सरकार से अब तक की गई कार्रवाई पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि पूरे प्रदेश में पूर्वोत्तर राज्यों से आए छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
यह घटना 9 दिसंबर को देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में हुई थी। यहां पढ़ाई कर रहे त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा और उनके भाई माइकल की कुछ युवकों से कहासुनी हो गई थी। विवाद के बाद युवकों ने दोनों भाइयों के साथ मारपीट की, जिसमें एंजेल गंभीर रूप से घायल हो गया। एंजेल का 17 दिनों तक देहरादून के ग्राफिक एरा अस्पताल में इलाज चला, लेकिन 26 दिसंबर को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने इस मामले में 6 युवकों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 5 को गिरफ्तार किया जा चुका है। दो आरोपी नाबालिग हैं, जिन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया है, जबकि तीन अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। एक आरोपी अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।
देहरादून एसएसपी अजय सिंह के अनुसार, विवाद मृतक एंजेल और आरोपियों में शामिल मणिपुर के एक युवक के बीच शुरू हुआ था। उन्होंने स्पष्ट किया कि घटना को नस्लीय टिप्पणी से जोड़ने के कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। एसएसपी ने कहा कि आरोपी और मृतक दोनों ही पूर्वोत्तर राज्यों से थे और एक-दूसरे को नहीं जानते थे। मौके पर मौजूद युवक आपस में हंसी-मजाक कर रहे थे, जिसे एंजेल और उसके भाई ने अपने लिए समझ लिया, इसी गलतफहमी के कारण विवाद बढ़ा। फिलहाल, मामले की जांच जारी है और एनएचआरसी के निर्देशों के तहत राज्य सरकार से रिपोर्ट तैयार की जा रही है।




