रामनगर – कुमाउनी के वरिष्ठ साहित्यकार,दुदबोली के सम्पादक मथुरादत्त मठपाल को उनकी अस्सीवीं जयंती पर उनके साहित्य के साथ याद किया गया। साहित्यिक सांस्कृतिक पत्रिका नवल की ओर से पर्वतीय सभा लखनपुर में हुए कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर माल्यार्पण से हुई।ततपश्चात हल्द्वानी से पहुंचे कुमाउनी के वरिष्ठ कवि जगदीश जोशी ने उनके साहित्य पर विस्तार से बातचीत रखी औऱ कहा कि उनकी कर्मठता ने मुझे हमेशा प्रेरित किया।
पत्रकार जगमोहन रौतेला ने कहा आज कि सबसे बड़ी जरूरत है हम आने वाली पीढ़ियों को बोलचाल में अपनी बोली भाषा से परिचित करवाएं।ट्रेड यूनियन नेता कैलाश पांडे ने कहा मठपाल कुमाउनी के वरिष्ठ साहित्यकार होने के साथ साथ जनसरोकारों से जुड़े व्यक्ति थे।जब वे भिकियासैंण में बतौर शिक्षक नॉकरी में रहे तो उत्तराखण्ड में उस दौर में हुए सभी आंदोलन व आंदोलनकारियों से वे सीधे जुड़े रहे।
डिग्री कालेज में हिंदी प्राध्यापक डॉ गिरीश पंत ने कहा अब उनके लेखन को समेटने व व्यापक रूप से प्रचारित, प्रसारित करने की जरूरत है। बेतालघाट डिग्री कालेज में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अधीर कुमार ने कहा कि कुमाउनी में साहित्यिक कार्य करने के साथ साथ उनका हिंदी में भी अच्छा दखल था। डॉ गजेंद्र सिंह बटोही,गढ़वाली साहित्यकार धर्मेंद्र नेगी,निखिलेश उपाध्याय, कृष्ण कृष्ण चन्द्र मिश्रा,मानसी रावत ने उनकी विभिन्न कविताओं का सस्वर पाठ किया।भोर संस्था के संजय रिखाडी ने जानकारी दी कि जल्दी ही उनके द्वारा लिखित हिंदी नाटक बुद्धम शरणम गच्छामि का मंचन उनकी टीम द्वारा किया जाएगा।कार्यक्रम से पूर्व श्री मठपाल की स्मृति में कोसी बायो डायवर्सिटी पार्क टेढ़ा में बृक्षारोपण भी किया गया।इस मौके पर उनकी धर्मपत्नी नन्दिनी मठपाल,नवीन तिवारी,हरिमोहन,सुमन जोशी, भुवन पपनै,नन्दराम आर्य, बी एस डंगवाल,ललित बिष्ट,बुद्धि सिंह नेगी,सी पी खाती,सुभाष गोला,प्रभात ध्यानी,मनमोहन अग्रवाल, जे सी लोहनी,मनीष कुमार,मानसी रावत,अमित तिवारी मौजूद रहे।


