शहादत दिवस पर याद किये गए नागेंद्र सकलानी, याद में खुला पुस्तकालय हुए कई कार्यक्रम……

ख़बर शेयर करें -

रामनगर – टिहरी रियासत को भारत विलय के आंदोलन के शहीद नागेंद्र सकलानी,मोलू भरदारी के शहादत दिवस पर आज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए।रचनात्मक शिक्षक मण्डल की पहल पर दुर्गा मंदिर ,भवानीगंज में स्कूली बच्चों ने उनका चित्र बनाया,इस मौके पर शहीद नागेंद्र सकलानी पुस्तकालय का लोकार्पण भी किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत आजादी के आंदोलन के क्रांतिकारी गीतों से हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के बतौर ए आर टी ओ विमल पांडे मौजूद रहे।उन्होंने बच्चों को उनके इतिहास से परिचय की शिक्षक मण्डल की मुहिम का स्वागत किया।शिक्षक मण्डल संयोजक नवेंदु मठपाल ने बच्चों को जानकारी देते हुए बताया कि नागेन्द्र सकलानी का जन्म वर्ष 16 नवम्बर, 1920 को रियासत टिहरी के अंतर्गत सकलाना जागीर के पुजार गाँव में हुआ था. नागेन्द्र सकलानी ने देहरादून से कक्षा 10 की शिक्षा उत्तीर्ण की थी. विद्यार्थी जीवन के दौरान वे देश मं चल रहे स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जागरूक हुए. कालांतर में वे टिहरी प्रजा मंडल के सदस्य बन कर रियासत टिहरी के आन्दोलनों में शामिल हो गए।

यह भी पढ़ें 👉  बड़ी खबर-(देहरादून) मुख्य सचिव की अध्यक्षता मे बैठक, रामनगर: गर्जिया देवी मंदिर और गोला नदी क्षेत्र में सुरक्षात्मक कार्यों में तेजी लाने के निर्देश

. इसी दौरान नागेन्द्र सकलानी वामपंथी विचारधारा के संपर्क में आये और उन्होंने देहरादून में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन सचिव आनंद स्वरुप भारद्वाज की मार्क्सवाद की कक्षाओं में भाग लेना शुरू किया. कम्युनिस्ट नेता ब्रिजेन्द्र गुप्ता के साथ मिलकर कामरेड नागेन्द्र सकलानी ने टिहरी रियासत के भीतर चल रहे प्रजा मंडल आन्दोलन में हस्तक्षेप करते हुए उसे मुक्ति के संघर्ष से जोड़ा।
10 जनवरी 1948 को नागेन्द्र सकलानी के सामूहिक नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों के साथ कीर्तिनगर के न्यायलय तथा अन्य सरकारी भवनों को घेर कर रियासत की फौज तथा प्रशासन से आत्मसमर्पण करवा दिया. कीर्तिनगर को आजाद घोषित किया गया पर वहां हुई गोलीबारी में 11 जनवरी को नागेंद्र व मोलूरामशहीद हो गए। 12 जनवरी 1948 की सुबह पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली के सुझाव पर शहीद नागेन्द्र सकलानी और मोलू भरदारी की अर्थियों को आन्दोलनकारी उठा कर टिहरी की दिशा में चल पड़े। तीसरे दिवस 14 जनवरी को रियासत की राजधानी टिहरी पहुंची. जहाँ उनका दाह संस्कार भिलंगना और भागीरथी के संगम पर हुआ. जनता के आक्रोश से भयभीत शाही फौज ने उसी दिन आत्मसमर्पण कर दिया और आजाद पंचायत सरकार की स्थापना हो गयी. 1 अगस्त 1949 को रियासत टिहरी का भारत संघ में वैधानिक विलय हो गया. श्री विमल पांडे व वार्ड मेम्बर दीप चंद द्वारा सभी प्रतिभागी बच्चों को पुरुस्कृत भी किया गया।वरिष्ठ चित्रकार सुरेश लाल ने बच्चों को दिशा निर्देशित किया।इस मौके पर अमित अग्रवाल, मनोज शर्मा ,ग्रेट वालिया,अमन चंद्रा नमित अग्रवाल ,किशोर चंद्रा ,सुभाष गोला,प्रदीप पूठिया,संजय सागर,नन्दराम आर्य मौजूद रहे।कार्यक्रम के अंत में बच्चों के लिए नागेंद्र सकलानी पुस्तकालय खोलने की भी घोषणा की गयी।
शिक्षक मण्डल द्वारा संचालित स्कूली बच्चों के व्हाटसअप ग्रुप जश्न ए बचपन में जाने माने इतिहासकार शेखर पाठक व देहरादून से विरिष्ठ रंगकर्मी सुनील कैंथोला ने बच्चों को क़िस्सागोई अंदाज में उस दौर के इतिहास से परिचित कराया।कैंथोला ने कहा दुनिया में यह आंदोलन एकमात्र सत्ता परिवर्तन है जहां हजारों लोग तीन दिन तक दी शहीदों के शव के साथ पैदल मार्च करते हैं और अंततः राजा की सेना को समर्पण करना पड़ता है,राजा को गद्दी छोड़नी पडती है।शिक्षक मण्डल द्वारा रामनगर के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे 20 से अधिक पुस्तकालयों में भी बच्चों ने शहीदों को याद किया।

Ad_RCHMCT