प्रदेश में देखने को मिल रहे टोमॅटो फ्लू के मामले

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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भी अब टोमेट फ्लू का कहर बढ़ने लगा है और अब प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में इसके मामले सामने आने शुरू हो चुके हैं जानकारी के अनुसार बता दे कि टोमेटो फ्लू के मामले गढ़वाल मंडल के श्रीनगर क्षेत्र में देखने को मिले हैं जानकारी के अनुसार श्रीनगर संयुक्त अस्पताल के बाल रोग ओपीडी में रोजाना 7 से 10 टोमैटो फ्लू से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. टोमैटो फ्लू को लेकर अभिभावक भी दशहत में हैं. डॉक्टरों की मानें तो इस फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है, साधारण दवाओं से बच्चे इस फ्लू से आराम भी पा रहे हैं.

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राजकीय संयुक्त उपजिला चिकित्सालय श्रीनगर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गोविंद पुजारी ने बताया कि उनके पास हर दिन टोमैटो फ्लू से 7 से 10 बच्चे ग्रसित पहुंच रहे हैं. शुरुआत में अभिभावक इसे छोटी माता समझ रहे हैं, जबकि, यह टोमैटो फ्लू है. इसमें बच्चों की पीठ, पैर के तलवों और हाथों पर लाल पानी वाले बुलबुले बन जाते हैं. डॉ गोविंद ने सभी अभिभावकों को न घबराने की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि इस तरह के लक्षण होने पर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें और बच्चों को आइसोलेट करें.

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टोमैटो फ्लू क्या है?टमाटर या टोमैटो फ्लू एक सामान्य प्रकार का वायरल संक्रमण है. जिसमें 10 साल से कम उम्र के बच्चों को बुखार आता है. आमतौर पर त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं. फ्लू से संक्रमित बच्चे के शरीर के कई हिस्सों पर छाले पड़ जाते हैं, जो आम तौर पर लाल रंग के होते हैं. इसलिए इसे ‘टमाटर फ्लू’ कहा जाता है. अभी तक इस रोग की कोई विशिष्ट दवाएं उपलब्ध नहीं है.

रोकथाम के लिए करें ये उपाय:टोमैटो फ्लू की रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय उचित स्वच्छता है. आस पास की जरूरी वस्तुओं और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ संक्रमित बच्चे के खिलौने, कपड़े, भोजन व अन्य सामान को गैर-संक्रमित बच्चों से साझा करने से रोकना चाहिए. कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों में टोमैटो फ्लू होने का खतरा अधिक होता है.

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इसके अलावा कुछ आवश्यक निवारक उपाय हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए. जैसे संक्रमित व्यक्ति के तत्काल संपर्क में आने से बचें. अपने बच्चों को इस रोग के लक्षणों और इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताएं, अपने बच्चे से कहें कि बुखार या दाने के लक्षण वाले बच्चों को गले न लगाएं और न ही उन्हें छुएं.

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