बच्चों ने जानी पक्षियों की दुनिया…।।।।

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चन्द्रशेखर जोशी

रचनात्मक शिक्षक मण्डल द्वारा स्कूली बच्चों के लिए आयोजित पक्षियों की दुनिया की सैर कार्यक्रम के तहत आज डेढ़ सौ से अधिक बच्चों ने ढेला पहुंच स्थानीय व प्रवासी पक्षियों के बारे में जाना।

नानकमत्ता पब्लिक स्कूल,नानकमत्ता,उधमसिंगनगर से पहुंचे इन बच्चों को ढेला वन क्षेत्रकधिकारी सन्दीप गिरी ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।उन्होंने शिक्षक मण्डल द्वारा बच्चों के अंदर प्रकृति को जानने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान का स्वागत करते हुए पूर्ण सहयोग का वादा भी किया।

कार्यक्रम की शुरुआत ढेला वन परिसर में ढेला के बच्चों की सांस्कृतिक टीम उज्यावक दगडी के ज्योति फर्त्याल,प्राची बंगारी,आबिदा व अन्य द्वारा गाये गीतों गांव छोड़ब नाही,इसलिए राह संघर्ष की हमने चुनी,बल्ली सिंह चीमा के गीत बर्फ से ढक गया ये पहाड़ी नगर ,वीरेन डंगवाल की कविता हमारा समाज से हुई।उसके पश्चात प्रतिभागी बच्चों ने वरिष्ठ नेचर गाइड राजेश भट्ट,दीक्षा करगेती,अमरीक सिंह,भाष्कर भट्ट,राजिद हुसेन,करमजीत सिंह,के नेतृत्व में जंगल वॉक करते हुए पक्षियों को देखा व उनके बारे में जाना।राजेश भट्ट ने जानकारी दी कि भारतीय महाद्वीप में पक्षियों की लगभग
1350 प्रजातियां हैं।

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जिसमें से लगभग 600 प्रजातियाँ कार्बेट क्षेत्र में पाई जाती हैं।कार्बेट क्षेत्र के पक्षियों में प्रवासी पक्षियों की भी अच्छी खासी संख्या हैं।जो हजारों किलोमीटर की यात्रा कर दूर साइबेरिया से यहां आती है उच्च हिमालयी क्षेत्रों की नदियों में बर्फ जमने के कारण ये पक्षी निचले कम ठन्डे स्थानों का रुख करते हैं. यहां इन्हें भोजन की कमी नहीं होती है।


ये हल्की गति से बहने वाली नदियों की धाराओं के किनारे, जहां रेत, मिट्टी और पत्थर एक साथ होते हैं, रुक कर भोजन तलाश करते हैं. ये छोटे कंकर-पत्थरों के नीचे छिपे कीड़े-मकौड़े उनके लार्वा, शैवाल, काई और विभिन्न प्रकार के पौष्टिक छोटे पौधों को खाते हैं.।इन्ही में से एक है आइबिसबिल। इस समय यह अपने सालाना प्रवास में यहां पहुँच चुकी हैं।

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आइबिस्बिल अन्य प्रवासी पक्षियों के साथ यहाँ नवम्बर से लेकर मार्च तक पड़ाव डालते हैं. शीतकाल के बाद बर्फ के पिघलते ही ये वापस उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अपने घरों की तरफ लौट जाते हैं. आइबिस्बिल बहुत ही दुर्लभ पक्षी है. आइबिस्बिल छुपने में माहिर होती है. इसी वजह से इन्हें आसानी से ढूंढ पाना मुश्किल होता है।


कार्बेट क्षेत्र में आने वाले प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रफ, ब्लैक विंग्ट स्टिल्ट, कॉमन टील, वुड सैंडपाइपर जैसी पक्षियों की प्रजातियां मुख्य रूप से शामिल हैं।
बच्चों ने जाने माने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार की रिगोड़ा स्थित आर्ट गैलरी का भी भृमण किया गया।दीप ने उनको विस्तार से फोटोग्राफी के बारे में जानकारी के साथ साथ जंगल में फोटो खींचते वक्त होने वाली परेशानियों की भी जानकारी दी।वरिष्ठ चित्रकार सुरेश लाल ने बच्चों को पेंटिंग की जानकारियों से अवगत कराया।पी एन जी महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर गिरीश चन्द्र पन्त ने बच्चों को हिंदी साहित्य के माध्यम से जानवरों की विभिन्न जानकारियां दीं।इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक नवेन्दु मठपाल,कमलेश अटवाल,चन्द्रशेखर अटवाल,विजय गहतोड़ी, अशोक चन्द्र,जानकी ,ज्योति मौजूद रहे।