महिलाओं को जमीन का हिस्सेदार बनाने पर भड़के वकील, कहा-इससे बढ़ेगा अदालत पर बोझ

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हरिद्वार। कॉर्बेट हलचल

शादी होते ही भूमिधर पति की आधी संपत्ति पत्नी के नाम दर्ज होने से जुड़े आदेश पर वकील बिफर गए। वकीलों को इसका गजट नोटिफिकेशन मिला तो आक्रोश बढ़ गया। उत्तराखंड बार काउंसिल से जुड़े वरिष्ठ वकीलों का दो टूक कहना है कि अगर सरकार अगले 15 दिन के भीतर इस आदेश को वापस नहीं लेती है तो वे इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उनका मानना है कि इस तरह के आदेश से कोर्ट में परिवारों की लड़ाई के मामले बढ़ सकते हैं।

गलत धारणा बनने की आशंका

इस मामले में कई वकील गुरुवार को बार काउंसिल के चेयरमैन एमएम लांबा से मिले। वरिष्ठ वकील वाईएस तोमर ने इस दौरान कहा कि यह आदेश संविधान में मिले अधिकारों का हनन है। उन्होंने आशंका जताई कि महिलाएं इसका गलत लाभ भी उठा सकती हैं। वे संपत्ति वाले व्यक्ति से विवाह करके बाद में तलाक ले लेंगी। ऐसे में पति की आधी संपत्ति उनकी हो जाएगी। फिर महिलाएं दूसरी जगह शादी करेंगी तो दूसरे पति की भी आधी संपत्ति की मालकिन बन जाएंगी। उन्होंने साफ कहा कि इससे समाज में गलत धारणा बन जाएगी।

वकील बोले- ऐसे मामले हाल में कोर्ट में आए हैं 
ऐसे केस वकील राजेश्वर सिंह ने कहा कि हाल में इस तरह के कुछ मामले कोर्ट में आए हैं। तब इस गजट नोटिफिकेशन के बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि अगर पति की मौत होती है तो संपत्ति में मरने वाले की मां, पत्नी और बच्चों में हिस्सा बंटता है। नए आदेश में पत्नी अकेले आधी संपत्ति की मालकिन होगी। जबकि, बच्चे और मां को 25-25 फीसदी संपत्ति मिलेगी।

यह है मामला 
उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम में बदलाव किया। इसके गजट में 130क नई धारा जोड़ी गई। इसके तहत पुरुष भूमिधर के जीवनकाल में उसकी पत्नी सह अंशधारी के रूप में दर्ज होगी। वह आधी संपति की मालकिन होगी।

उत्तराखंड बार काउंसिल के चेयरमैन एमएम लांबा ने कहा कि, इससे पारिवारिक झगड़े और परिवार में विवाद से जुड़े मामले अदालतों में बढ़ जाएंगे। अगर, सरकार ने इस मामले में 15 दिन के भीतर आदेश वापस न लिया तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। यह ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी ऐक्ट का भी उल्लंघन है।