रामनगर:-कॉर्बेट नेशनल पार्क में पिछले 48 साल से अपनी सेवाएं दे रही विभागीय पालतू हथिनी गोमती की लंबी बीमारी के बाद सोमवार को मौत हो गई। हथिनी की मौत के बाद कॉर्बेट प्रशासन ने नियमानुसार गोमती का शव नष्ट करने की कार्यवाही की।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत कालागढ रेंज स्थित हाथीशाला में विभागीय हथिनी गोमती को ढिकाला रेंज से लाया गया था। विभागीय हथिनी गोमती (66 वर्ष) का उम्रदराज होने के कारण लम्बे समय से स्वास्थ्य खराब चल रहा था। गोमती का इलाज कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी की देख-रेख में किया जा रहा था। लेकिन सोमवार की सुबह गोमती हथिनी की मौत हो गयी।
मौत के बाद एसओपी के नियमानुसार पशु चिकित्साधिकारियों, विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों एवं एनजीओ के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में विभागीय हथिनी गोमती के शव का पोस्टमार्टम करवाते हुए विसरा व आंतरिक अंगो के सैम्पल को जांच के लिए आईवीआरआई इज्जतनगर बरेली व डब्लूआईआई देहरादून भिजवाया गया है।
इस दौरान मौके पर डिप्टी डायरेक्टर राहुल मिश्रा, वैटनरी डॉ. दुष्यन्त शर्मा, डॉ. राहुल सती, रेंज अधिकारी कालागढ़ मनीष कुमार, वाइल्ड लाईफ वेलफेयर फाउण्डेशन के प्रतिनिधि विरेन्द्र अग्रवाल, विश्व प्रकृति निधि के मौ. फैजान, भारत सिंह रावत, हाथी कैम्प प्रभारी आदि मौजूद रहे। डॉ. दुष्यन्त शर्मा ने हथिनी की मौत का कारण उम्रदराज होना बताया है।
फील्ड डायरेक्टर, कार्बेट टाइगर रिजर्व डॉ. साकेत बडोला ने कार्बेट परिवार की सदस्य गोमती की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए बताया कि विभागीय हथिनी गोमती के द्वारा कार्बेट टाइगर रिजर्व की विभिन्न रेंजों में रहकर वन विभाग की लगभग 48 वर्षों तक सेवा की गयी। गोमती द्वारा गश्त, रेस्क्यू, स्टॉफ की सुरक्षा इत्यादि के काम सकुशल किए गए।
कार्बेट परिवार विभागीय हथिनी गोमती की अविस्मरणीय सेवा भावना के प्रति सदैव आभारी रहेगा।
फोटो परिचय: हथिनी की मौत के बाद उसके शव को नष्ट करने की कार्यवाही करते वनकर्मी