तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को झड़प के बाद भारतीय सेना ने 300 चीनी सैनिकों को खदेड़ा
ईटानगर। एजेंसी
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) में तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश में तवांग के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों देशों के सैनिक घायल हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये घटना नौ दिसंबर की है। हिंसक झड़प में दोनों तरफ के सैनिक जख्मी हुए हैं। हालांकि, कोई भी भारतीय सैनिक गंभीर रूप से जख्मी नहीं हुआ है। झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि यह झड़प 9 दिसंबर को उस वक्त हुई जब चीनी सैनिक याग्त्से एरिया में आए। उनकी इस कार्रवाई पर भारतीय सैनिकों ने पलटवार करते हुए उन्हें खदेड़ा। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई। सूत्रों ने बताया कि घटना के बाद दोनों देशों के सेना के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई और मामले को सुलझा लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, तवांग में आमने-सामने के क्षेत्र में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में कहीं अधिक है। चीनी लगभग 300 सैनिकों के साथ पूरी तरह से तैयार होकर आए थे, लेकिन उन्हें भारतीय पक्ष से मुस्तैदी की उम्मीद नहीं थी। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से लगे कुछ क्षेत्रों पर भारत और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में 2006 से इस तरह के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं।
मई-जून 2020 में हुआ था पूर्वी लद्धाख सेक्टर में विवाद
गौरतलब है कि 1 मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। बताया जाता है कि चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर उतारू हो गए। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया। इस झड़प में दोनों ओर से खूब पत्थर, रॉड चले थे। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी जवान नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे।
इसके बाद क्या-क्या हुआ?
15 जून 2020 को सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कई राउंड की बातचीत हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई
तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने बैठक की। इसके बाद फरवरी 2021 में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की गई। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिणी तटों और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के संवेदनशील सेक्टर में दोनों देशों के 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।
1962 से विवाद
भारत और चीन के बीच लगभग 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है। 1962 की जंग के बाद से ही इसमें से ज्यादातर हिस्सों पर विवाद है। अभी तक हुई बैठकों में दोनों देशों ने स्थिति पर नियंत्रण, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए समाधान तलाशने की बात पर सहमति जताई है। विवादित क्षेत्रों में यथास्थिति कायम रखने और सेना के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी समझौता किया है।