कारगिल दिवस के अवसर पर रामनगर के पूर्व सैनिकों ने शहीदों को अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि।।

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चन्द्रशेखर जोशी

रामनगर – कारगिल युद्ध एक ऐसा छद्म युद्ध था जिसमें पाकिस्तान ने धोखे से घुसपैठ कर अपना पुराना अंदाज दोस्त के सीने में छुरा घोंपने जैसा जघन्य कृत्य किया था।

भारत के वीर सपूतों ने दुश्मन के इस जघन्य कृत्य विषम परिस्थितियों में होने पर भी बड़ी वीरता और साहस से मुकाबला कर पाकिस्तान के हजारों सैनिकों को मौत के मुंह में धकेलने के साथ-साथ कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व विजय हासिल की थी।

देहरादून में उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के अध्यक्ष ब्रिगेडियर ए.एस. रावत, हलद्वानी में उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग के जिलाध्यक्ष मेजर बी.एस. रौतेला ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

कारगिल युद्ध में हमारे देश के कुल 527 जवान शहीद हुए जिसमें उत्तराखंड के 75 जवान शहीद हुए। नैनीताल जिले में 5 जवान शहीद हुए इनमें नैनीताल के, हलद्वानी, चकुलवा कालाढूंगी और रामनगर के जवानों ने भी अपने प्राणों की आहुति दी।

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रामनगर के पूर्व सैनिकों ने प्रात: 8.30 बजे कारगिल शहीदों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। रामनगर के 2 जवान कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे।

लांसनायक रामप्रसाद ध्यानी (बैटल कैजुअल्टी ) 17 गढ़वाल राइफल्स के थे। 25 जुलाई 1999 को कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों में अर्द्धरात्रि को अपने साथियों के साथ पहाड़ी पर रस्सियों के सहारे ऊपर बढ़ रहे थे तभी ऊपर से उनकी टीम पर दुश्मन ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।

रामप्रसाद ध्यानी ने राइफल से निशाना साधते हुए एक पाकिस्तानी सैनिक को मार गिराया मगर तभी अकस्मात एक पाकिस्तानी सैनिक ने स्वचालित हथियार से एकसाथ असंख्य फायर उन पर झोंक दिए जिसके कारण मात्र 28 वर्ष की आयु में लांसनायक रामप्रसाद ध्यानी अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। शहीद रामप्रसाद ध्यानी के परिवार में उनके माता-पिता के अतिरिक्त वीरांगना पत्नी जयंती देवी, एक पुत्री ज्योति, दो पुत्र अंकित व अजय हैं। अंकित कानून की पढ़ाई कर रहे हैं और अजय भी सेना में भर्ती हो चुके हैं।

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दूसरे शहीद विश्वबंधु रावत (फिजिकल कैजुअल्टी ) हैं जो 10 जनवरी 2000 को शहीद हुए। कारगिल युद्ध में स्व. योगम्बर सिंह रावत (पूर्व विधायक रामनगर) और माता वीरांगना श्रीमती कमला रावत के लिए वे पल अभूतपूर्व व गौरवपूर्ण थे जब उनके तीनों बेटे भारत बन्धु रावत (17 गढ़वाल राइफल्स), देशबंधु रावत (9 गढ़वाल राइफल्स) और विश्वबंधु रावत (14 गढ़वाल राइफल्स) एक साथ तीन अलग-अलग स्थानों से दुश्मन से लड़ रहे थे।

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युद्ध की उस विकट स्थिति में जब समूचा देश अपने देश के सभी जवानों की कुशलता के लिए दुवाएं कर रहे थे, उस समय उन माता-पिता की मनःस्थिति क्या रही होगी जिनके तीनों बेटे युद्धभूमि में अलग अलग स्थानों से दुश्मन का मुकाबला कर रहे थे। जिनमें सबसे छोटे बेटे विश्वबंधु रावत शहीद हो गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग रामनगर के अध्यक्ष सूबेदार मेजर नवीन चन्द्र पोखरियाल, ब्लाक प्रतिनिधि चन्द्रमोहन सिंह मनराल, पूर्व सैनिक कल्याण एवं उत्थान समिति के उपाध्यक्ष सूबेदार मेजर दामोदर जोशी, सचिव व पार्षद भुवन सिंह डंगवाल, जिला सैनिक कल्याण विभाग के भगवत सिंह चौहान, कम्पनी हवलदार मेजर व यूथ फाउंडेशन पीरुमदारा के संचालक मंगल सिंह रावत सहित रामनगर क्षेत्र के समाज सेवी उपस्थित थे।

 

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