महिला एकता मंच द्वारा ग्राफी एरा (डोब)अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पखवाडा मनाया गया।
मंच का संचालन करते हुए प्रेमा आर्य का कहना था कि 8 मार्च महिलाओं के संघर्ष को याद करने का दिन है। इस दिन को सरकारी अवकाश घोषित न किया जाना सरकारों की पुरुष प्रधान मानसिकता का प्रतीक है।
सीमा सैनी ने कहा कि हमारे संविधान में महिलाओं को मिला समानता का अधिकार कानून की किताबों तक सिमट कर रह गया है।
वास्तविक बराबरी के लिए हम महिलाओं को संगठित होकर संघर्ष करने की जरूरत है।
ललिता रावत द्वारा कहा गया ।8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने, वृद्धा, विधवा, परित्यक्ता, विकलांग पेंशन ,को न्यूनतम ₹5000 मासिक किए जाने भोजन माता आंगनवाड़ी आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन दिए जाने व उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित न किये जाने तक हम महिलाओं को संघर्ष करने की जरूरत है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा भागीदारी की गई।
तुलसी विष्ट , कमला देवी, बीना देवी, माया ,सरस्वती जोशी, ममता देवी,रेवती विष्ट,पार्वती देवी ,जानकी देवी ,शोभा देवी ,हेमा देवी, हेमा देवी गोविंदी देवी निर्मला कमलेश कुमार आदि लोग उपस्थित रहे।