रामनगर – आजादी के आंदोलन की एक प्रमुख क्रांतिकारी नायिका दुर्गा भाभी को आज उनकी 114 वीं जयंती पर राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से याद किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत ज्योति फर्त्याल,प्राची बंगारी,खुशी बिष्ट,आकांक्षा सुंदरियाल ,आबिदा हुसैन द्वारा गाये गए 1857 के प्रथम विद्रोह के प्रयाण गीत हम हैं इसके मालिक से हुआ।उसके बाद अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने दुर्गा भाभी के जीवन पर जानकारी देते हुए बताया कि दुर्गा भाभी का जन्म सात अक्टूबर 1902 को शहजादपुर ग्राम में बांके बिहारी के यहां हुआ। कम उम्र में उनका विवाह भगवतीचरण बोहरा के साथ हुआ। मार्च 1926 में भगवती चरण वोहरा व भगत सिंह ने संयुक्त रूप से नौजवान भारत सभा का प्रारूप तैयार किया। भगत सिंह व भगवती चरण वोहरा सहित सदस्यों ने अपने रक्त से प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर किए। 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद परीक्षण करते समय वोहरा शहीद हो गए। उनके शहीद होने के बावजूद दुर्गा भाभी साथी क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय रहीं।
9 अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी जिसमें गवर्नर हैली तो बच गया लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल होगया। मारउन्होने मुम्बई मे अंग्रेज अधिकारियोँ पर हमला किया. मुंबई के एक फ्लैट से दुर्गा भाभी व साथी यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया। दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था।
भगत सिंह व साथियों द्वारा असेंबली में बम फेंकने के बाद इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया तथा फांसी दे दी गई। जिस समय भगत सिंह व उनके साथियों ने लाला लाजपत राय जी की मृत्यु का बदला लेने के लिए दिन दहाड़े सांडर्स को गोलियों से उड़ा दिया था। तो अंग्रेज एकदम बोखला गए थे। उन्होंने भगत सिंह की पत्नी बनकर उन्होंने भगतसिंह व राजगुरु को लाहोर स्टेशन से कोलकाता तक पहुचाया। उनके साथ उनका पुत्र शचीन्द्र भी था। राजगुरु जी उन के नोकर के रूप में थे।
इसके बाद भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली असेम्बली में बम फैंका, और अपनी गिरफ्तारी दे दी।उसके पश्चात् जब भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी की सजा हो गई तब दुर्गा भाभी,सुसीला दीदी तथा साथियों ने मिलकर जेल से भगत सिंह व साथियों को छुटाने के लिए एक योजना बनाई । इसके अर्न्तगत दिल्ली में एक छोटी सी बम फैक्ट्री बनाई गई। इसमे बने बम का परीक्षण करते हुए दुर्गा भाभी के पति भगवतीचरण वोहरा जी की मौत हो गई।
साथी क्रांतिकारियों के शहीद हो जाने के बाद दुर्गा भाभी दिल्ली से लाहौर चली गई, जहां पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और तीन वर्ष तक नजरबंद रखा। फरारी, गिरफ्तारी व रिहाई का यह सिलसिला 1931 से 1935 तक चलता रहा। अंत में लाहौर से जिलाबदर किए जाने के बाद 1935 में गाजियाबाद में प्यारेलाल कन्या विद्यालय में अध्यापिका की नौकरी करने लगी और कुछ समय बाद पुन: दिल्ली चली गई 1939 में इन्होंने मद्रास जाकर मारिया मांटेसरी से मांटेसरी पद्धति का प्रशिक्षण लिया तथा 1940 में लखनऊ में कैंट रोड के (नजीराबाद) एक निजी मकान में सिर्फ पांच बच्चों के साथ मांटेसरी विद्यालय खोला। आज भी यह विद्यालय लखनऊ में मांटेसरी इंटर कालेज के नाम से जाना जाता है। 14 अक्टूबर 1999 को गाजियाबाद में उन्होंने इस दुनिया से अलविदा कर लिया।सीनियर कक्षा के बच्चों सानिया अधिकारी,तानिया अधिकारी,रंजना बिष्ट द्वारा भी दुर्गा भाभी के जीवन पर बातचीत की गई।जबकि जूनियर कक्षा के बच्चों नवीन सत्यवली,वंश अधिकारी समेत अन्य बच्चों द्वारा उनका चित्र बनाया गया।प्रधानाचार्य मनोज जोशी द्वारा प्रतिभागी बच्चों को पुरुस्कृत किया गया।इस मौके पर सी पी खाती,नफीस अंसारी,संत सिंह,दिनेश निखुरपा,बालकृष्ण चंद,उषा पवार ,नरेश कुमार ,प्रदीप शर्मा,चंद्रा पाठक,दीपा सती मौजूद रहे।


