रामनगर – कुमाउनी के वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय मथुरादत्त मठपाल पर कुमाउनी पत्रिका आदलि कुशली द्वारा निकाले गए विशेषांक का विमोचन कार्यक्रम हुआ।हमरि दुदबोलि, हमरि पछ्याण ग्रुप के तत्वाधान में हुए इस कार्यक्रम में श्री मठपाल के साहित्यिक योगदान पर बातचीत भी हुई।तय किया गया कि जल्दी ही श्री मठपाल के अप्रकाशित साहित्य को प्रकशित करने का काम भी करवाया जाएगा।गढ़वाली साहित्यकार धर्मेंद्र नेगी ने इस मौके ओर कहा कि मठपाल जी सिर्फ कुमाउनी भाषा के ही ज्ञाता नही थे बल्कि हिन्दी के साथ साथ गढ़वाली,नेपाली,बंगाली साहित्य का भी उनको पर्याप्त ज्ञान था। भुवन पपनै नेबखा 80 वर्ष की उम्र में भी अपनी दुदबोलि के लिए उनके मन में जो समर्पण था आज हम सबको उससे प्रेरित होने की जरूरत है।निखिलेश उपाध्याय ने उनकी याद में स्वरचित कविता प्रस्तुत की।वक्ताओं ने श्री मठपाल के कविता संग्रह पै मैँ क्यापक क्याप कै भेटनु व आँग आँग चिचेल है गो में से विभिन्न कविताओं का पाठ किया।कार्यक्रम में तय किया गया कि श्री मठपाल की याद में रामनगर में उत्तराखंडी लोक साहित्य का एक पुस्तकालय खोलने का भी प्रयाश किया जाएगा।
कार्यक्रम का संचालन नवीन तिवारी ने किया।इस मौके पर नवल पत्रिका के सम्पादक हरिमोहन मोहन,पर्वतीय सभा के अध्यक्ष दिनेश जोशी,कैलाश चन्द्र त्रिपाठी,नवेंदु मठपाल मोजूद रहे।सरस्वती कोहली के सम्पादकत्व में पिथौरागढ़ से निकलने वाली कुमाउनी पत्रिका आदलि कुशली के इस विशेषांक में श्री मठपाल के जीवन व साहित्य कर्म पर प्रकाश चन्द्र पांडे की कविता,प्रो देवसिंह पोखरिया,भुवनचंद्र पपनै, डा प्रमोद श्रोत्रिय,हेमंत बिष्ट,जगमोहन सिंह रौतेला,दिनेश भट्ट,पूरनचंद काण्डपाल,रमेश हितैषी, कृष्ण चन्द्र मिश्रा, डॉ दीप चौधरी,दामोदर जोशी देवांशु,जगदीश जोशी,घनानन्द पांडेय मेघ,कृपाल सिंह शीला, पृथ्वी सिंह केदारखण्डी,दिनेश ध्यानी,धर्मेंद्र नेगी,योगम्बर सिंह बर्त्वाल के आलेखों के साथ साथ श्री मठपाल की कविताएं प्रकाशित हैं।इस पत्रिका का विमोचन कार्यक्रम रामनगर के साथ साथ देहरादून,पिथौरागढ़,रुद्रपुर,हल्द्वानी,दिल्ली में भी आज ही किया गया।


