Corbetthalchal देहरादून:उत्तराखंड एसटीएफ साइबर क्राइम पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। लगभग ₹98 लाख की सुनियोजित साइबर ठगी के मामले में फरार चल रहे मुख्य अभियुक्त मृदुल सूर को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) से गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ श्री नवनीत सिंह के नेतृत्व में की गई।
ठगी का तरीका:
आरोपी मृदुल सूर ने फेसबुक व व्हाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर खुद को एक वित्तीय सलाहकार और IFDCINVESTOR नामक कंपनी का प्रतिनिधि बताया। उसने पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए प्रारंभ में छोटे निवेशों पर रिटर्न दिया और फिर धीरे-धीरे बड़ी रकम निवेश के लिए मंगवाने लगा।
आरोपी और उसके सहयोगियों ने 28 जुलाई 2020 से 9 अगस्त 2024 के बीच पीड़ित से विभिन्न बैंक खातों में कुल ₹98 लाख रुपये की धनराशि ट्रांसफर करवाई।
ब्लैकमेल और धमकियां:
जब पीड़ित ने पैसे की वापसी की मांग की, तो आरोपियों ने यह कहकर धमकाया कि राशि अवैध गतिविधियों (डेटिंग ऐप्स, चुनावी फंडिंग, शेयर बाजार) में लग चुकी है और रिपोर्ट करने पर परिवार को नुकसान पहुँचाने की चेतावनी दी।
पुलिस कार्रवाई और तकनीकी जांच:
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसटीएफ उत्तराखंड द्वारा सघन तकनीकी जांच की गई। साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त मृदुल सूर पुत्र एम.के. सूर निवासी महेशपुर, थाना इगरा, जिला पूर्वी मिदनापुर, पश्चिम बंगाल के रूप में पहचान हुई।
पुलिस टीम ने आरोपी को कोलकाता स्थित फ्लैट (B/1A, सुकासा टावर, 30 खोलीका कोटा रोड, ईडन पार्क) से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी से पहले उसे CrPC की धारा 41 का नोटिस दिया गया था, परंतु आरोपी जांच से बचता रहा, जिसके बाद न्यायालय से गैर-जमानती वारंट प्राप्त कर गिरफ्तारी की गई।
बरामदगी:
• 01 मोबाइल फोन (सिम सहित)
• 04 चेक बुक
• 03 पासबुक
• 02 एटीएम कार्ड
प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा:
पूछताछ में सामने आया कि मृदुल सूर एक संगठित साइबर अपराध गिरोह का हिस्सा है, जो लोगों को निवेश के नाम पर ठगता था। आरोपी ने अपनी पत्नी के नाम पर बैंक खाता खुलवाकर उसमें ठगी की रकम प्राप्त की और विभिन्न माध्यमों से निकासी की।
गिरफ्तारी में शामिल टीम:
• अपर उपनिरीक्षक: श्री सुनील भट्ट
• कांस्टेबल: श्री सोहन बडोनी
• तकनीकी सहयोग: अपर उपनिरीक्षक श्री मनोज बेनीवाल एवं हेड कांस्टेबल श्री राजाराम गोदियाल
वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन:
यह कार्रवाई उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ, ADG लॉ एंड ऑर्डर/साइबर डॉ. वी. मुरुगेसन, तथा IG लॉ एंड ऑर्डर/साइबर डॉ. नीलेश आनंद भरने के मार्गदर्शन में की गई। प्रकरण की निगरानी अपर पुलिस अधीक्षक श्री स्वप्न किशोर, सहायक पुलिस अधीक्षक श्री कुश मिश्रा, तथा पुलिस उपाधीक्षक श्री अंकुश मिश्रा द्वारा की जा रही है।
जनता से अपील – “डिजिटल अरेस्ट” एक स्कैम है: एसएसपी एसटीएफ
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक STF उत्तराखंड श्री नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि व्हाट्सएप/सोशल मीडिया पर कोई भी CBI, ED या साइबर क्राइम अफसर बनकर अगर “डिजिटल अरेस्ट” या किसी केस में फंसाने की बात कहता है, तो यह एक फर्जीवाड़ा है।
• ऐसे मामलों में तुरंत निकटतम साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराएं।
• कोई भी लालच भरे ऑफर, अनजान लिंक, टिकट बुकिंग, फर्जी निवेश योजनाओं में पैसा न लगाएं।
• किसी भी फ्रैंचाइज़ी, कंपनी या ऑनलाइन ऑफर की सत्यता की जांच बैंक/कंपनी से वैरिफाई कर लें।
• गूगल पर कभी भी कस्टमर केयर नंबर सर्च न करें।
• संदिग्ध कॉल्स/मैसेज मिलने पर शिकायत करें:
📞 साइबर हेल्पलाइन: 1930
🌐 www.cybercrime.gov.in




