कुमाउनी कवि के साथ साथ मठपाल को उनके द्वारा किए गए अनुवादों के लिए भी याद रखा जाएगा…….प्रो पंत

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चन्द्रशेखर जोशी

रामनगर:-साहित्य अकादमी पुरुस्कार प्राप्त कुमाउनी साहित्यकार मथुरादत्त मठपाल की दूसरी पुण्य तिथि पर उनके परिजनों को श्री मठपाल पर हुए शोध प्रबंध की प्रति भेंट की गई। पी एन जी पी जी महाविद्यालय ,रामनगर में हुए उपरोक्त कार्यक्रम में के हिंदी विभाग के प्रो गिरीश चंद्र पंत जी के दिशा निर्देशन में डा कृष्ण चंद्र मिश्र द्वारा किए गए शोध प्रबंध “कुमाउनी साहित्य के विकास में मथुरादत्त मठपाल का योगदान” की एक प्रति स्वर्गीय मठपाल की अर्धांगिनी श्रीमती नंदिनी मठपाल व उनके पुत्र नवेंदु मठपाल को भेंट की गई।

कार्यक्रम में बोलते हुए महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो गिरीश पंत ने कहा मठपाल जी ने केवल कुमाऊनी में ही नहीं लिखा बल्कि मठपाल जी ने भारतीय भाषाओं के मध्य आपसी सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित करने के प्रयोजन से हिंदी की कविताओं को भी कुमाउनी में रूपांतरित किया।

निराला और पन्त जैसे छायावाद के महान कवियों की टक्कर का साहित्य रचने वाले गढ़वाल के हिमवंत कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल (1919- 1947) की हिंदी कविताओं का मथुरादत्त मठपाल ने कुमाउनी में बहुत सुंदर अनुवाद किया.
कार्यक्रम अध्यक्ष पी सी जोशी ने कहा पुस्तक सम्पादन के क्षेत्र में भी मठपाल जी द्वारा कुमाउनी के सर्वश्रेष्ठ परन्तु अज्ञात कवि पं० कृपालु दत्त जोशी जी के महत्वपूर्ण कवि कर्म का ‘मूकगीत’ नाम से सम्पादन/प्रकाशन किया. ‘दुदबोलि पत्रिका में बाबू चन्द्र सिंह तड़ागी की पुस्तक ‘चन्द्र शैली का कई खण्डों का प्रकाशन किया।

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हिमवन्त कवि चन्द्र कुँवर बर्थवाल (जीवन काल 1919-47 ई0/मात्र 28 साल) की 80 कविताओं का कुमाउनी अनुवाद को 2013 में ‘था मेरा घर भी यहीं कहीं’ नाम से  प्रकाशित किया. जुगल किशोर पेटशाली संकलित कुमाउनी की प्राय: 80 वर्ष पूर्व की सौ होलियों का प्रकाशन ‘गोरी प्यारो लागे तेरो झन्कारो’ नाम से किया. कवि केदार सिंह कुंजवाल, वंशीधर पाठक जिज्ञासु के हिन्दी काव्य संकलन ‘बादलों की गोद से’ व ‘मुझको प्यारे पर्वत सारे’ का प्रकाशन किया।

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डा कृष्ण चंद्र मिश्र ने कहा रामगंगा से उनको  बहुत प्रेम था. इसीलिए उन्होंने लम्बी कविता ‘चली रहप गंग हो’ रामगंगा पर रची. अपने प्रकाशन का नाम भी रामगंगा प्रकाशन रखा. जहाँ से लगभग 20-22 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. ध्यान देने की बात यह है कि इन सारे साहित्यिक कार्यों के लिए मठपाल जी ने कभी भी सरकारी सहायता की ओर नहीं देखा।सम्मेलन आयोजित कराने और पत्रिका की आर्थिक सहायता के रूप में मिली थोड़ी बहुत धनराशि की अतिरिक्त उन्होंने बाकी सारी धनराशि स्वयं खर्च की।

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समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डा सुमन ने मठपाल की कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति की जबकि एम की छात्रा पुष्पलता,निशा नयाल,कामना ने मठपाल के जीवन पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर डा दुर्गा तिवारी, डा रीता तिवारी, डा अनुराग श्रीवास्तव, डा प्रकाश पालीवाल,पीसी जोशी,निखिलेश उपाध्याय,नवीन तिवारी,भुवन पपने,सभासद विमला देवी,भुवन डंगवाल,भावना भट्ट,साहित्यकार सगीर अशरफ, डा सुमन,सुरेश लाल, बी डी पंत,हरिमोहन मोहन, चितेश त्रिपाठी मौजूद रहे।

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