उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग में बादल फटने के बाद उत्पन्न हुई मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां भूस्खलन का सिलसिला लगातार जारी है।
इस बीच सोनप्रयाग-गौरीकुंड पहाड़ी मार्ग में अचानक मलबा आने के साथ ही बोल्डर गिर गए। इससे रेस्क्यू हेतु उपयोग किए जा रहे दो किलोमीटर लंबे वैकल्पिक मार्ग को क्षति पहुंची है। इस विषम परिस्थिति में मौके पर पहुंचे एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल) के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने ड्रोन के माध्यम से आगे की कार्य योजना तैयार की।
एसडीआरएफ की टीमों को सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग में यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए निर्देशित किया गया। ड्रोन की सहायता से, कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने टीमों को नई कार्य योजना से अवगत कराया, जिससे रेस्क्यू अभियान को और अधिक प्रभावी तरीके से चलाया जा सके।
मणिकांत मिश्रा ने अगस्त मुनि और रतूड़ा से मौके पर पहुंची 02 बैकअप टीमों को तुरंत सर्च और रेस्क्यू अभियान तेज करने के आदेश दिए। लिचोली और श्री केदारनाथ के हेलीपैड पर तैनात 4 एसडीआरएफ टीमों को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कमांडेंट मणिकांत मिश्रा के अनुसार, एसडीआरएफ की टीमों ने अब तक दो किलोमीटर लंबे पहाड़ी मार्ग से 2300 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया है जबकि एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस के द्वारा 737 लोगों को हेली से रेस्क्यू किया जा चुका है। शेष यात्रियों को सुरक्षित लिनचोली और श्री केदारनाथ हेलीपैड पर पहुंचाया जा रहा है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में, एसडीआरएफ की टीमों ने अपनी समर्पण और कठिन परिश्रम से रेस्क्यू अभियान को कर रही है।