हल्द्वानी। भाकपा माले द्वारा नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड (नैब) संस्था हल्द्वानी प्रकरण में कुछ तथ्यों की लगातार की जा रही अनदेखी के संबंध में संज्ञान लिए जाने और कार्यवाही करने के संबंध में नैनीताल की जिलाधिकारी को ज्ञापन ई मेल और व्हाट्सएप के माध्यम से प्रेषित किया गया।
ज्ञापन में कहा गया कि, कुछ समय पहले नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड (नैब) संस्था हल्द्वानी द्वारा संचालित महिला हास्टल में रहने वाली नाबालिग दृष्टिहीन बच्चियों द्वारा उन पर हो रहे यौन शोषण को उजागर किया गया था, जिस पर जांच के पश्चात संस्था संचालक एवं महासचिव श्याम धानक को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। लेकिन अभी भी इस संबंध में कई महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है।
1. अभी तक पुलिस द्वारा उक्त प्रकरण में किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं की गई है और नैब संस्था की अधीक्षिका की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जबकि किशोर न्याय अधिनियम में हास्टल अधीक्षिका को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, ताकि अन्य सभी गुनाहगारों को उनके इस कुकृत्य के लिए सजा मिल सके।
2. उक्त प्रकरण चूंकि दृष्टिबाधित नाबालिग बच्चियों से संबंधित है जोकि विकलांगता की श्रेणी में आता है अतः उक्त प्रकरण में आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम के अंतर्गत भी कार्यवाही करना आपसे अपेक्षित है।
3. पीड़ित बच्चियों के कलमबंद बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किये जायें ताकि जांच प्रक्रिया में दखल ना हो। कलमबंद बयान इसलिए ताकि बच्चों के बयान प्रभावित न हों और क्योंकि वह विकलांग हैं प्रकृति की घोरतम मार आजीवन झेलते आ रहे हैं। अतः उनको चार्जशीट दाखिल होने के बाद अदालत में बार बार बुलाकर और प्रताड़ित न किया जा सके।
4. इस दौरान इन बच्चों के सुरक्षित प्रवास का जिम्मा भी प्रशासन का है अतः इस संबंध में संबंधित जिम्मेदार कर्मचारियों से पूछताछ एवं उनके सभी रिकॉर्ड /साक्ष्य सुरक्षित रखना पुलिस की जिम्मेदारी है अतः उक्त दिशा में भी अवश्य पुलिस प्रशासन द्वारा कदम उठाए जायें।
5. उक्त प्रकरण में बाल कल्याण विभाग की भूमिका भी अहम है चूंकि आवास के दौरान इन बच्चों के सुरक्षित प्रवास का जिम्मा उक्त विभाग का है इस संबंध में उक्त विभाग के संबंधित जिम्मेदार कर्मचारियों से पूछताछ एवं उनके सभी रिकॉर्ड /साक्ष्य सुरक्षित रखना पुलिस की जिम्मेदारी है अतः इस दिशा में भी तत्काल अवश्य कदम उठाए जायें।
6. अनिल धानक जो कि इस प्रकरण के मुख्य आरोपी श्याम धानक के पुत्र हैं वे अलमोड़ा विधि कॉलेज में एलएलबी के छात्र हैं और साथ ही जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्र हल्द्वानी के भी कर्मचारी हैं जो डीडीआरसी से प्रतिमाह वेतन आहरित करते हैं। लेकिन साथ ही साथ श्री अनिल धानक नैब संस्था गौलापार हल्द्वानी में भी प्रोजेक्ट कार्डिनेटर की हैसियत से कार्य कर रहे हैं और जिसका वेतन नैब संस्था से आहरित करते हैं तथा रोज नैब गौलापार में जाते हैं जहां हास्टल में वो बच्चियां भी रहतीं हैं जिनका उनके पिता पर यौन शोषण का आरोप है। क्या ये जांच का बिषय नहीं कि उपरोक्त व्यक्ति एक साथ तीन जगहों पर कैसे उपस्थित हो सकता है ? और क्या यह एक वित्तीय घोटाला नहीं है? क्या प्रशासन इस कृत्य पर न्यायसंगत कार्रवाई करेगा? एवं सबसे मुख्य बात यह कि जिस संस्था के हास्टल की नाबालिग दृष्टिहीन बच्चियों द्वारा उनके पिता पर यौन शोषण जैसा गंभीर आरोप लगाया है उसी संस्था में आरोपी पुत्र रोज जा रहे हैं क्या गारंटी है कि वे अपने पिता के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे? क्या यह नैब की नाबालिग दृष्टिहीन बच्चियों को मिलने वाले न्याय पर कुठाराघात नहीं है? क्या जिला प्रशासन इस घोर लापरवाही पर तत्काल संज्ञान लेगा?
माले द्वारा मांग की गई कि नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड (नैब) संस्था हल्द्वानी के मामले में तथ्यों के आधार पर उठाए गए इन बिंदुओं का संज्ञान लेते हुए व्यापक जनहित में कार्यवाही की जाय।