देहरादून – उत्तराखंड शासन से बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ राज्य सरकार ने कर्मचारी संगठनों पर नो वर्क नो पे का आदेश जारी कर दिया है। वहीं राज्य में कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली हड़ताल, कार्य बहिष्कार और प्रदर्शन को लेकर सरकार ने बड़ा आदेश जारी किया है सभी विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी किए।
कृपया उपर्युक्त विषयक शासनादेश संख्या 04/XXX (2)/2013 दिनांक 08 जनवरी, 2013 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके द्वारा यह स्पष्ट करते हुए कि राज्याधीन सेवाओं से सम कार्मिकों के द्वारा प्रदर्शन तथा हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के अन्तर्गत प्रतिबन्धित है, कर्मचारी संगठनों के आहवान पर कार्मिकों के द्वारा हड़ताल / कार्य बहिष्कार किए जाने की स्थिति में कार्य नहीं तो वेतन नहीं, के सिद्धान्त को लागू करने सहित अन्य कतिपय दिशा-निर्देश निर्गत किए गए थे।. एस. एस. संधु ने ये आदेश जारी किये हैं।
- शासन के संज्ञान में यह आया है कि शासन द्वारा विभिन्न कर्मचारी संगठनों की मांगों पर समय-समय पर कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता करते हुए उनकी कतिपय मांगे स्वीकार की गयी है. इसके बावजूद भी कुछ कर्मचारी संगठनों के कार्य बहिष्कार प्रदर्शन अथवा हड़ताल जैसी गतिविधियों में संलग्न होने अथवा कार्मिकों को तत्सम्बन्धी आह्वान करने की संभावना है जोकि व्यापक जनहित में नहीं है। इसके अतिरिक्त यदा-कदा कार्य करने हेतु इच्छुक अन्य कार्मिकों के कार्य सम्पादन में बाधा पहुंचाने का प्रयास भी किया जाता है जोकि भारतीय दण्ड संहिता के आलोक में भी दण्डनीय अपराध है। इन परिस्थितियों में, सम्यक विचारोपरान्त कार्मिकों के द्वारा राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के प्राविधानों के प्रतिकूल कार्य बहिष्कार / प्रदर्शन / हड़ताल की स्थिति उत्पन्न किए जाने की घटना के सम्बन्ध में निम्नवत् कार्यवाही किए जाने का निर्णय लिया गया है –
(1) कार्य नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धान्त के अनुरूप हड़ताल / कार्य बहिष्कार पर रहने वाले कार्मिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष द्वारा हड़ताल पर रहने वाले कार्मिक का विवरण आहरण वितरण अधिकारी के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध कराया जायेगा तथा कोषागार द्वारा तदनुसार निर्दिष्ट अवधि के वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। यदि किसी कार्यदिवस के पूर्ण बहिष्कार के स्थान पर घंटों के आधार पर सामयिक बहिष्कार किया जाता है तो कार्य बहिष्कार के आठ घंटों को एक कार्यदिवस मानकर तदनुसार कुल कार्य बहिष्कार के दिवसों/घंटों के लिए अनुपातिक गणना एवं कटौती की जायेगी।
(2) प्रत्येक विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों में कार्मिकों की उपस्थिति की कड़ाई से जांच की जायेगी और यदि कोई कार्मिक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के उपरान्त कार्य नहीं करते हैं तो उन्हें भी हड़ताल / कार्य बहिष्कार में सम्मिलित माना जायेगा एवं उनके सम्बन्ध में भी उपरोक्तानुसार कार्यवाही की जायेगी।
(3) हडताल / कार्य बहिष्कार अवधि को बाद में किसी भी दशा में उपार्जित अवकाश या अन्य प्रकार के अवकाश के रूप में आगणित/समायोजित नहीं किया जायेगा, बल्कि इस अवधि को सम्बन्धित कार्मिक की सेवा में व्यवधान माना जायेगा।
(4) हड़ताल / कार्य बहिष्कार अवधि में अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर किसी भी कार्मिक को सामान्य रूप से अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा।
(5) जिन सेवाओं में अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम के प्राविधान प्रभावी है, वहां उक्त अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार कार्यवाही की जायेगी।
(6) हड़ताल / कार्य बहिष्कार की अवधि में जो कार्मिक कार्य पर आते हैं, उन्हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जायेगी।
(7) विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष का यह व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होगा कि उपरोक्तानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाय और इसमें किसी प्रकार की शिथिलता की दशा में उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जायेगी।
कृपया उपर्युक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।


