उत्तराखंड में पहली बार स्थानीय जनजाति पारम्परिक वेशभूषा में सेल्फी ले सकेंगे देशी विदेशी पर्यटक

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मुनस्यारी। हिमनगरी में पर्यटन के क्षेत्र में एक और नवाचार होगा। उत्तराखंड में पहली बार देशी विदेशी पर्यटकों को स्थानीय जनजाति पारम्परिक वेशभूषा को धारण कर सैल्फी लेने का अवसर मिलेगा। जिपंस जगत मर्तोलिया के इस प्रोजेक्ट के लिए हरि झंडी के साथ ही जिला योजना से 22 लाख रुपए स्वीकृत कर दिया गया है। मर्तोलिया ने इसके लिए प्रभारी मंत्री चंदन राम दास तथा जिला अधिकारी का आभार व्यक्त किया।

उत्तराखंड में अभी तक टूरिज्म में स्थानीय वेशभूषा ने प्रवेश नहीं किया है। नैनीताल, मसूरी सहित सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों पर हिमाचल तथा जम्बू कश्मीर की वेशभूषा में पर्यटक फोटो तथा सैल्फी लेते हुए दिखते हैं। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने जिला पर्यटन अधिकारी पिथौरागढ़ के सम्मुख इस आशय का प्रस्ताव रखा। जिला अधिकारी रीना जोशी तथा प्रभारी मंत्री चंदन राम दास का साथ मिला तो जिला योजना समिति ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।

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जिला अधिकारी ने विकास खंड मुनस्यारी के ग्राम पंचायत पापड़ी के अंतर्गत डाडाधार में चैंजिंग रुम तथा सैल्फी प्वाइंट निर्माण के लिए 22 लाख रुपए स्वीकृत कर दिया है।इसकी प्रथम किस्त 11 लाख रुपए जारी कर दिया गया है। निर्माण कार्य ग्रामीण निर्माण विभाग डीडीहाट द्वारा किया जाएगा।

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विभाग के अधिशासी अभियंता विनीत कुरील ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में निखार लाने के लिए रुद्रपुर से मानचित्रकार की मदद ली जाएगी।इस राशि से डाडाधार में पैदल मार्ग में टायल्स भी लगाया जाएगा।जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि हिमनगरी क्षेत्र के लिए यह खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत पापड़ी के महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा पर्यटकों को जनजाति समुदाय के परिधान शुल्क में उपलब्ध कराया जाएगा। 

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इससे महिलाओं को एक नया स्वरोजगार का विकल्प मिलेगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के होम स्टे तथा होटलों को भी इस नवाचार को अपनाने के लिए कहा जाएगा।  उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यह क्षेत्र पहला पर्यटक स्थल होगा जहां टूरिस्ट स्थानीय परिधान में सज धज कर सैल्फी लेते हुए दिखेंगे। मर्तोलिया ने कहा कि क्षेत्र में इस तरह के नवाचार होते रहेंगे।

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