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हल्द्वानी।यहां पर रेलवे की कथित जमीन से अतिक्रमण हटाने और लगभग पांच हजार घरों पर बुलडोजर चलाने के आदेश पर फिलहाल देश की सर्वोच्च अदालत ने रोक लगा दी है।
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को नोटिस जारी कर दिया है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि, “हम रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस दे रहें हैं। उस भूमि पर और अधिक कब्जों पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही हम हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रहें हैं।“
जस्टिस कौल ने कोर्ट में पूछा कि उत्तराखंड सरकार के वकील कौन हैं? कितनी जमीन रेलवे की है, कितनी राज्य की? क्या वहां रह रहे लोगों का दावा लंबित है? जज ने आगे कहा, “इनका दावा है कि बरसों से रह रहे हैं। यह ठीक है कि उस जगह को विकसित किया जाना है लेकिन उनका पुनर्वास होना चाहिए।”
कोर्ट में रेलवे की जमीन को लेकर भी सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पहले रेलवे ने 29 एकड़ जमीन बताई और इसके बाद अब 78 एकड़ भूमि बता रहा है।
जस्टिस कौल ने कहा, “2 तरह के लोग हो सकते हैं- एक जिनका दावा बनता है, एक जिनका कोई दावा नहीं बनता। आपको जमीन को कब्ज़े में लेकर विकसित करने का हक है लेकिन सबको सुनकर बीच का रास्ता निकालना चाहिए।”
कोर्ट ने एक हफ्ते में फोर्स लगाकर मकानों को खाली कराने के मसले पर भी टिप्पणी कर दी है। रेलवे की ओर से पेश वकील ऐश्वर्य भाटी ने दावा किया ये पूरा मामला पुराना है और इसमें कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि, इस पूरे मामले को मानवीय आधार पर देखा जाना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप पैरामिलिट्री फोर्स लगाकर एक हफ्ते में घर खाली करा दें।