चन्द्रशेखर जोशी
हरेले पर तीन दिवसीय कार्यक्रम हर्यावक त्यार का हुआ शुभारम्भ क्यारी में हरेले के पावन पर्व में तीन दिवसीय महोत्सव हर्यावक त्यार का आज विधिवत शुभारम्भ हुआ।
अलाया रिजॉर्ट क्यारी कार्बेट लेंड स्केप की ओर से आयोजित इस महोत्सव के पहले दिन 50 से अधिक स्कूली बच्चोंको स्थानीय पादपों ,औषधीय वनस्पतियों व उनके संरक्षण के बारे में बताया गया।
क्यारी गांव के सर्वाधिक बुजुर्ग हीरा सिंह रावत,चन्दन सिंह पवार ने विधिवत रिबन काट महोत्सव के शुभारम्भ की घोषणा की।फिर उन्होंने प्रतिभागी बच्चों को 70 साल पहले क्यारी कैसा था पर विस्तार से जानकारी दी।
उस समय क्यारी के पर्यावरण के बाबत भी बताया।उसके बाद बच्चों ने लगभग 2 किलोमीटर का नेचर वाक करते हुए वहां पैदा होने वाली वनस्पतियों पर विस्तार से जाना।नेचर गाइड विनोद बुधानी , मोहन पांडेय , मोहन सिंह रावत .ने बच्चों को बताया क्यारी के जंगल का जैव विविधता के मामले में कोई सानी नहीं है।
यहां वृक्षों, वनस्पतियों और वन्यजीवों की विविध प्रजातियां हैं। क्यारी के जंगल में साल, रोहणी, ढाक, बांकुली, बेल, तेंदू, बेर, कठबेर, चिल्ला, सेमल, झिंगन, खरपट के अलावा पहाड़ियों के ढलानों पर कुसुम, कचनार, पूला जैसे वृक्ष जहाँ पर्यावरण को संरक्षित किए हुए हैं।
नमी वाले स्थानों पर जामुन, हल्दू, कंजू व नदी के तट पर खैर, शीशम सेमल मौजूद है।बड़ी संख्या में औषधीय पौधे भी मौजद हैं।जिसका उपयोग गंभीर बीमारियों में औषधि के रूप में किया जाता है।
इन्हीं पेड़ पौधों में से एक पेड़ कदंब का है. कदंब के पेड़ पर सुगंधित फूल (fragrant flowers) आते हैं. इस विशाल वृक्ष की छाया भी विशाल और शीतल होती है. कदंब का वनस्पति नाम (botanical name of kadamba) एन्थोसीफैलस इंडिगो (Anthocephalus indicus) है।
जो रूबीएसी परिवार का सदस्य (member of the Rubiaceae family) है.इसकी ऊंचाई 20 से 40 फीट की होती है. इसके पत्ते कटहल के पेड़ के पत्ते जैसे होते हैं, लेकिन थोड़े छोटे और चमकीले होते.वर्षा ऋतु में कदंब के पेड़ों पर फूल आते हैं।
इसकी खासियत है कि बादलों की गर्जना से इसके फूल अचानक खिल उठते हैं. कदंब पर्यावरण (environment) के लिए भी बहुत जरूरी है. कदंब पर्यावरण की दृष्टि से जंगलों को फिर से हरा-भरा करने, मिट्टी को उपजाऊ बनाने और शोभा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अलाया रिसोर्ट के प्रवन्धक ने कहा कि हरेला का पर्व पर्यावरण के संरक्षण का पर्व है हमारा हमेशा प्रयास रहता है कि स्थानीय पर्यावरण के संरक्षण के साथ साथ उत्तराखंडी लोक सँस्कृति का विकास किया जाय।
अंग्रेजी प्रवक्ता नवेन्दु मठपाल ने बच्चों को हरेले त्यौहार के ऐतिहासिक,पर्यावरणीय पक्ष पर जानकारी दी। जीवन सिंह रावत , हेमंत पाठक (GM), विजय पवार ,दीप शास्त्री (छत्रे पंचायत सदस्य) , नवीन सती ( ग्रामप्रधान) हीरा सिंह रावत , चंदन सिंह , ललित प्रकास , भास्कर ,अंजली रावत , सुमित कुमार ,आदि ग्रामीण व अध्यापक व संरक्षण वादी मौजूद रहे।


