विगत माह पूर्व उत्तराखंड के धर्मनगरी हरिद्वार के रानीपुर कोतवाली क्षेत्र में पुलिसकर्मी पर हमला करने एवं एक सिपाही की आंख फोड़ने के मामले में फरार चल रहे पादरी गैंग के एक बदमाश को पुलिस ने आखिरकार मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार कर लिया है बता दे की घटना शिवालिक नगर की है।बदमाश के पैर में गोली लगी है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जबकि उसका दूसरा साथी फरार हो गया। बदमाश की तलाश में जिले भर के पुलिस अभियान चलाकर चेकिंग कर रही है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि बीते 25 मई की रात रानीपुर कोतवाली की चेतक पर तैनात कांस्टेबल प्रीतपाल और विजयपाल शिवालिक नगर क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। दो संदिग्ध पुलिसकर्मियों को देखकर छिपने लगे। जिस पर दोनों पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया और पूछताछ करने लगे।
तभी अंधेरे में छिपे उनके दो अन्य साथी निकलकर बाहर आ गए और पुलिसकर्मियों पर डंडे से हमला कर दिया। एक बदमाश ने गुलेल में पत्थर बांधकर हमला कर दिया था। जिससे दोनों पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इससे पहले कि पुलिसकर्मी संभलते, चारों बदमाश भाग निकले।
सिपाही प्रीतपाल की आंख पर गंभीर चोट आने के चलते चिकित्सकों ने उसे एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया। जहां तीन दिन बाद सिपाही की आंख निकालनी पड़ी थी। पुलिस व एसओजी ने मिलकर उज्जैन मध्य प्रदेश निवासी खानाबदोश पांच बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन दो लगातार फरार चल रहे थे।
आज की सुबह पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि बहादराबाद क्षेत्र में रौ नदी के पास दो बदमाश छिपे हुए हैं। पुलिस मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने गोलियां दागनी शुरू कर दी। जिस पर पुलिस ने पलटवार किया और एक बदमाश के पैर में गोली लग गई। लहूलुहान हालत में उसे पुलिस ने पकड़ लिया है, जबकि उसके साथी भाग निकले।
बदमाशों की तलाश में पूरे जिले में अभियान चलाकर चेकिंग की जा रही है। घायल बदमाश को अस्पताल ले जाया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि गिरफ्तार बदमाश 50 हजार का इनामी है, उसका एक साथी फरार हो गया है, जिसकी तलाश की जा रही है।
मध्यप्रदेश के उज्जैन इलाके में रहने वाली पारदी जनजाति से जुड़े हैं। ये एक खानाबदोश जनजाति है जो सड़क किनारे रहकर वारदातों को अंजाम देते हैं और फिर दूसरे इलाके में निकल जाते हैं। कुख्यात पारदी जनजाति के ये बदमाश अपने साथ अपना पूरा परिवार लेकर चलते हैं।
महिलाओं के साथ इनके बच्चे भी शहर-शहर घूमते हैं। लेकिन वारदात के समय यह लोग अकेले ही चोरी या लूट की वारदात को अंजाम देने जाते हैं। जबकि महिलाएं या बच्चे बनाए गए अस्थायी डेरे में ही रहते हैं।