उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा जिस प्रकार से पेपर लीक मामले में धीरे-धीरे खुलासे होते जा रहे हैं वहीं अब राजनीति भी गरमा ती हुई जा रही है वही बात की जाए उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्तियों के मामले में पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के साथ गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई भर्तियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताते चलें कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के समय पर ही नियुक्तियां की गई।
मामले पर पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मेरा बेटा बेरोजगार था, मेरी बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े-लिखे थे। अगर डेढ़ सौ से अधिक लोगों में मैंने अपने परिवार के दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया। कहा कि मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया, मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हु।
कुंजवाल का कहना है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की ओर से की गई नियुक्तियों को भी वह गलत नहीं मानते हैं। उन्होंने जो भी नियुक्तियां की हैं, वह सभी वैध हैं। हां यदि कहीं इन नियुक्तियों में लेन-देन या किसी भी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच होनी चाहिए
कुंजवाल का कहना है कि संविधान में अनुच्छेद 187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है। कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए। दोनों ही अदालतों ने भी तमाम नियुक्तियों को सही ठहराया। अब जो लोग नियुक्तियों पर सवाल उठा रहे हैं, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अहवेलना कर रहे हैं।