हल्द्वानी। कुमाऊं के पुलिस महानिरीक्षक डॉ. नीलेश आनन्द भरणे ने कहा है कि युवाओं को 2025 में उत्तराखंड को नशा मुक्त प्रदेश बनाने में युवाओं से सहयोग करने का अनुरोध किया है। कहा है कि नशा करने से न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि बीमारियों के साथ ही सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है।
आईजी डाॅ भरणे साईं कृपा नशा मुक्ति केन्द्र कमलुवागांजा हरिपुर नायक पहुंचकर नशामुक्त केन्द्र में उपाचराधीन युवाओं को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दे रहे थे। इस अवसर पर नशा मुक्ति केन्द्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर दुष्यन्त अहूजा ने 17 साल से नशे से दूर रहने के बाद के अनुभव को साझा किए। बताया कि नशा मुक्ति केन्द्र में लगभग औसतन रोगी की उपस्थिति 40 की है। नशा मुक्ति केन्द्र में रिकवरी रेट 20 प्रतिशत है।
नशा मुक्ति केन्द्र में स्मैक,शराब, अफीम आदि नशे के आदतन रोगियों का ईलाज किया जा रहा है । केन्द्र में बरेली, मुरादाबाद तथा कुमाऊँ रेंज के रोगियों का ईलाज किया जा रहा है। बताया कि केन्द्र में घर से लाकर , आत्मसमर्पण, तथा पुलिस द्वारा सौपे गए नशेडियों का इलाज किया जाता है। इस अवसर पर डॉ मनोज त्रिवेदी , डॉ मनोज तिवारी आदि मौजूद रहे ।
कुमाऊं के पुलिस महानिरीक्षक डॉ नीलेश आनंद भरणे ने केन्द्र में उपचाराधीन रोगियों को जानकारी दी कि नशे के प्रभाव में व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अनेक ऐसे असमाजिक कार्य कर देता है जिससे समाज में तनाव उत्पन्न हो जाता है।
साथ ही युवाओं से आग्रह किया कि नशे से दूर रहकर उत्तराखण्ड राज्य के “मिशन 2025 लक्ष्य नशा मुक्त उत्तराखण्ड” में अपना सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि नशा करने वाले युवा न केवल परिवार व समाज से दूर हो जाते है, बल्कि मानसिक और अधिक रुप से कमजोर हो जाते है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी खत्म हो जाती है।