रामनगर-कुमाउनी कविता के सशक्त हस्ताक्षर निखिलेश उपाध्याय के कुमाउनी कविता संग्रह बिसौण का आज एक भव्य कार्यक्रम के मध्य विमोचन हुआ।कविता संग्रह में कुमाउनी समाज के सुख,दुख के साथ साथ प्रकृति की 57 कविताएं हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।उसके बाद प्रो गिरीश पंत ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए विस्तार से कुमाउनी कविता के सभी पहलुओं पर बातचीत रखी।उसके बाद कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वक्ता प्रो दिवा भट्ट ने विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कुमाऊँ का इतिहास एक प्रकार से इन लोक गीतों में छिपा है।
मनुष्य ने हमेशा ही अपनी बातों,दर्द को साहित्य के माध्यम से रखा है।निखिलेश उपाध्याय की कविताओं में भी कुमाऊं के समाज का दर्द है तो संघर्ष भी।कविताओं में गेयता भी है।निखिलेश की कविताओं को अभी काफी आगे तक जाना है।
कुमाउनी के वरिष्ठ कवि जगदीश जोशी ने कुमाउनी कविता के विकास पर विस्तार से बातचीत रखी।उन्होंने कहा अब जिस तेजी से कुमाउनी में लिखा जा रहा है यह आशान्वित करता है।बहुत सारी खामियों के बाबजूद हमारी कविता में जन के दर्द के साथ साथ प्रकृति भी मजबूती से अपना स्थान पा रही है।पत्रकार जगमोहन रोतेला ने
कुमाउनी के विस्तार को लेकर चल रही विभिन्न गतिविधियों और पत्र पत्रिकाओं पर बातचीत को केंद्रित किया।
गढ़वाली साहित्यकार,शिक्षक धर्मेंद्र नेगी ने निखिलेश उपाध्याय की कुमाउनी कविताओं का गढ़वाली रूपांतरण प्रस्तुत किया।शिक्षक सी पी खाती और डा डी एन जोशी ने उपाध्याय की कविताओं का वाचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भुवन पपने,संचालन नवेंदु मठपाल ने किया।इस मौके पर मदन राम आर्य, चंद्रशेखर फुलारा, नंदिनी मठपाल,भुवन पपनै, गिरीश पंत, संजय रावत, चंद्रशेखर छिमवाल, डा डी एन जोशी,धर्मेंद्र नेगी,शम्भूदत्त तिवारी ,प्रभात ध्यानी,शम्भूदत्त छिमवाल, हरिमोहन शर्मा,गबर सिंह ,केदारनाथ कोठारी , शंकर शर्मा भुवन शर्मा,राजाराम विद्यार्थी सुरेश चंद जोशी धर्मेंद्र नेगी, डा सुमन,जितेंद्र बिष्ट,आशीष उपाध्याय, आदित्य उपाध्याय चंद्रप्रकाश खाती,नवेंदु जोशी मौजूद रहे।