अब चिंतन के साथ चिंता भी करने होगी, 10 से 5 के कल्चर से आना होगा बाहर-सीएम धामी,मुख्य सचिव ने अफसरशाही पर दी नसीहत

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उत्तराखंड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में धामी सरकार ने आज चिंतन शिविर शुरू किया है। चिंतन शिविर का देहरादून के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के सरदार पटेल सभागार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका शुभारंभ किया है।

उत्तराखंड शासन के सभी अधिकारी इस चिंतन शिविर में मौजूद रहें और इस दौरान सभी अधिकारी अपने-अपने विभागों से जुड़े प्रदर्शन भी सामने पेश करेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए सरकार का यह पहला चिंतन शिविर है।


चिंतन शिविर के जरिए एक रोडमैप निकाला जाएगा कि किस तरीके से 2025 में उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में काम किया जाए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के दौरान जिस तरीके से लखनऊ में ही मॉडल बनते थे अब ऐसा ना हो, बल्कि उत्तराखंड के विकास का मॉडल महज देहरादून में ही ना बने बल्कि सीमान्त क्षेत्रों में भी ये तय हो। सब की जवाबदेही तय हो और मूल्यांकन इस बात पर हो कि किसने किस तरह का रिजल्ट दिया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि चिंतन शिविर से जो अमृत निकलेगा उससे उत्तराखंड जरूर आगे बढ़ेगा। साथ ही सभी को चिंतन के साथ चिंता भी करनी होगी कि उत्तराखंड श्रेष्ठ राज्य बने। उन्होंने कहा कि किस प्रकार राज्य की अर्थव्यवस्था आगे बढे़ और लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठे इसके लिए तेजी से सरकार काम कर रही। मंत्रियों और अधिकारियों का जगह-जगह प्रवास हो, दूर दराज के इलाकों में सभी लोग प्रवास कर लोगों की समस्याओं का समाधान हो।


मुख्यमंत्री ने कहा कि सरलीकरण समाधान और संतुष्टि करण के मंत्र पर कार्य करना होगा। वर्ष 2025 तक केवल श्रेष्ठ राज्य की बात कहकर कुछ नहीं होने वाला बल्कि इसे हमको साकार करके दिखाना है। पर्यटन, योगा, हाइड्रो पावर, हॉर्टिकल्चर ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें अभी बहुत कुछ करने की संभावनाओं की गुंजाइश है। अभी कुछ दिनों से मैंने आदत बनाई है कि जिलों में भ्रमण के दौरान सुबह 6 से 8 बजे तक आमजन से एक सामान्य सेवक की तरह बात करता हूं और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लेकर फीडबैक लेता रहता हूं।

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मसूरी एलबीएस अकादमी में शुरू हुए चिंतन शिविर में मुख्य सचिव एसएस संधु ने अफसरशाही को भी नसीहत दे डाली और खरी-खरी भी सुनाई। मुख्य सचिव ने कहा कि सबसे बड़ी चीज है पॉजिटिव होना। ह्यूमन साइकोलॉजी है कि जब हम किसी को नो कहते हैं ईगो बढ़ती है, कि मेरी पावर है मैं इसे नो कह सकता हूँ, इसे रोक सकता हूँ और ज्यादातर इसी सिंड्रोम के शिकार हैं। कोई आए पहले नो ही होता है पब्लिक वाला आए लेकिन जब आप यस कहते हो तो ईगो ख़त्म हो जाती है।

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कितनों ने ईगो को कंट्रोल कर लिया है कितनों ने नहीं किया है, ये आप सभी को स्वयं चिंतन करना है। बहुत अधिकारी ऐसे हैं कि आधी बात हुई नहीं कि नो कह देना। हां कहिए उसकी कोशिश कीजिए और अगर नहीं होता तो से बता दीजिए इस कारण से दिक्कत आ रही कि नहीं कर सकते। आपको तनख्वाह चीजें करने के लिए मिलती है, आपको तनख्वाह चीजों को रोकने के लिए नहीं मिलती। नियम हमने बनाए हैं और अगर विषय बड़ा है तो नियम बदल लें। मुख्यमंत्री का पॉजिटिव अप्रोच है एक मिनट में तो हम कैबिनेट से अप्रूव करवा देते हैं। नियम और शासनादेश बदलना हमारे हाथ में है लेकिन हम कोड किए जा रहे हैं। ये नहीं हम कोशिश करते हैं कि प्रस्ताव अच्छा है इससे जनता को फायदा होना है

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