उत्तराखंड में अब छोटे और निम्न जोखिम वाले भवनों के नक्शे पास कराने के लिए लोगों को विकास प्राधिकरण के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। राज्य सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत भवन मानचित्र स्वीकृति प्रक्रिया में बदलाव करते हुए थर्ड पार्टी से नक्शा पास कराने की व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में स्वीकृति दी गई।
भारत सरकार की ओर से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्यों को निर्देश जारी किए गए थे। इन्हीं निर्देशों के अनुपालन में उत्तराखंड सरकार ने निम्न जोखिम श्रेणी के भवनों के लिए अधीन भवन मानचित्र स्वीकृति नियमों में संशोधन किया है।
नई व्यवस्था के तहत सिंगल रेसिडेंशियल हाउस और छोटे व्यवसायिक भवन जैसे निम्न जोखिम वाले निर्माण कार्यों के लिए अब इंपैनल्ड आर्किटेक्ट द्वारा स्वप्रमाणित नक्शे को मान्यता दी जाएगी। भवन स्वामी निर्माण या पुनर्निर्माण के आवेदन के साथ SC-1 और SC-2 फॉर्म सहित सभी आवश्यक दस्तावेज सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेगा। इसके साथ निर्धारित शुल्क भी जमा करना होगा।
आवास विभाग के प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि अब निम्न जोखिम वाले भवनों के नक्शे विकास प्राधिकरण से पास कराना अनिवार्य नहीं रहेगा। भवन स्वामी के पास यह विकल्प होगा कि वह या तो विकास प्राधिकरण से नक्शा स्वीकृत कराए या फिर थर्ड पार्टी यानी इंपैनल्ड आर्किटेक्ट के माध्यम से स्वप्रमाणन कराकर नक्शा पास करवा सके।
इसके अलावा राज्य सरकार ने उत्तराखंड सामान्य औद्योगिक विकास नियंत्रण (संशोधन) विनियमावली, 2025 को भी लागू करने का निर्णय लिया है, जिसे 24 दिसंबर को हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई। इस संशोधन का उद्देश्य कंप्लायंस बर्डन को कम करना, व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना और नियमों को अधिक स्पष्ट बनाना है।
संशोधित नियमों के तहत औद्योगिक भूखंडों से जुड़े प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। इसमें एमएसएमई यूनिटों और अन्य औद्योगिक इकाइयों के लिए ग्राउंड कवरेज बढ़ाने का प्रावधान शामिल है, जिससे उद्योगों को विस्तार और संचालन में आसानी मिलेगी।




