चन्द्रशेखर जोशी
रामनगर – दीपक डिवाइन स्कूल भवानीपुर खुल्वे रामनगर, नैनीताल में हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, संर्वधन एवं विकास पर आधारित पौराणिक एवं पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन।
‘मकसद संस्था’ द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन रेखा रावत ब्लाक प्रमुख रामनगर एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी रामनगर वंदना रौतेला द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व राज्य मंत्री दिनेश मेहरा व आशा बिष्ट पूर्व सदस्य राज्य महिला आयोग उपस्थित रहे। दीपक डिवाइन स्कूल पीरूमदारा, रामनगर के प्रबन्ध निदेशक जशोद सिंह बिष्ट, अध्यक्ष मोहन सिंह रावत एवं समन्वयक सुरेन्द्र बिष्ट द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया।
अतिथियों को संस्था की सचिव, हेमा बिष्ट एवं सलाहकार महेन्द्र भैसोडा एवं हेम चंद शर्मा द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि रेखा रावत ने अपने आर्शीवचन में हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण संर्वधन एवं विकास में कार्यरत ‘मकसद संस्था’ एवं सभी कलाकारों की प्रशंसा की एवं सभी कलाकारों का धन्यवाद किया। खण्ड शिक्षा अधिकारी वंदना रौतेला ने कहा कि छात्रों के नैतिक एवं चारित्रिक विकास के लिए उनको अपनी परम्पराओं एवं संस्कृति से परिचित कराना आवश्यक है एवं अपनी संस्कृति का संरक्षण एवं संर्वधन का कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘मकसद संस्था’ द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना भी की।
मकसद संस्था द्वारा दीपक डिवाइन स्कूल पीरूमदारा के प्रांगण में उत्तराखण्ड के पारम्परिक एवं पौराणिक लोकगीत एवं लोकनृत्य कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर नरेन्द्र चौहान एवं किशोरीलाल जिला पंचायत सदस्य, अमरजीत सिंह ग्राम प्रधान भवानीपुर खुल्वे, बलदेव सिंह रावत, कृति बिष्ट, बीरेन्द्र बिष्ट, विद्यालय के छात्र-छात्राओं व अभिभावकों सहित सैकड़ों सम्मानित दर्शक गण मौजूद रहे।
मकसद संस्था द्वारा आज पारम्परिक एवं पौराणिक लोकगीतों पर सुन्दर कार्यक्रम आयोजित किए गये जो निम्नवत है-
- वन्दना – मॉ नन्दा सुनन्दा की स्तुति।
- लोक गायक चन्द्रशेखर द्वारा उत्तराखण्ड का पारम्परिक लोक गीत की प्रस्तुति।
- उत्तराखण्ड की पौराणिक लोक कला नन्दा राजजात यात्रा की सुन्दर प्रस्तुति।
- लोक गीत महेन्द्र भैसोड़ा जी द्वारा- सोमेश्वर बजारा मिले गाडी करी रै ठाड़ी।
- पारम्परिक सामुहिक नृत्य जिसके बोल हैं ‘पारै भीड़ै की बसंती छोरा रूमा-झुमा।
- उत्तराखण्ड का सुप्रसिद्ध जौनसारी नृत्य।
- चौफुला थड़िया नृत्य जिसके बोल हैं ‘नीलिमा नीलिमा’ ।
- उत्तराखण्ड का गढ़वाली लोकनृत्य ‘बसंत की हवा छाया’।
- सामुहिक नृत्य जिसके बोल है- ‘काकड़ खे जाली चीरा’।
- उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध छपेली लोक नृत्य
- उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध एकल लोकगीत-श्रीमती धर्मा बिष्ट एवं हेम चन्द्र शर्मा, चंदन सिंह मेहरा द्वारा।
- उत्तराखण्ड का पारम्परिक झोड़ा लोकनृत्य की प्रस्तुति।
संगीत निर्देशन – हेमा बिष्ट, भुवन चन्द्र जोशी एवं नृत्य निर्देशन किशन लाल ।
गायक कलाकार- नीतू भारद्वाज, कीर्ति गयाल, चन्द्रशेखर, अनिल कुमार, महेन्द्र सिंह भैसोड़ा आदि।
नृत्य कलाकार- हरीश हिमांशु आशीष, लक्ष्मण, पिंकी, तारा, पूजा, कविता, ललिता साह, कमला राणा, मानविका रावत,
पिंकी गहत्याडी, मनोज जोशी, प्रकाश थापा, संजीव कुमार एवं किशोर पाठक आदि।
वाद्य कलाकार- हारमोनियम पर अजय कुमार, तबला संजय कुमार, ढोलक रवि एवं सौरभ जोशी, बांसुरी वादक महेन्द सिंह हुड़के पर चन्द्र शेखर।
कार्यक्रम का संचालन हेमन्त बिष्ट द्वारा किया गया।


