जलियांवाला बाग कांड के शहीदों को किया याद …………हुए कही कार्यक्रम

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रामनगर-जलियांवाला बाग कांड की 105 वीं यादगार तिथि की पूर्व संध्या पर राजकीय इंटर कालेज ढेला में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से शहीदों को याद किया।कार्यक्रम की शुरुआत कोमल सत्यवाली और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है गीत से हुई।अंग्रेजी प्रवक्ता नवेंदु मठपाल ने उस दिन के बाबत जानकारी देते हुए बताया जलियांवाला बाग नरसंहार , जिसे अमृतसर नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है , 13 अप्रैल 1919 को हुआ था ।

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रोलेट एक्ट के विरोध में बैशाखी मेले के दौरान ब्रिटिश भारत के पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक बड़ी, शांतिपूर्ण भीड़ एकत्र हुई थी ।सार्वजनिक सभा के जवाब में, ब्रिगेडियर जनरल आर. ईएच डायर ने ब्रिटिश भारतीय सेना की अपनी गोरखा और सिख पैदल सेना रेजिमेंट के साथ लोगों को घेर लिया । जलियांवाला बाग से केवल एक तरफ से ही बाहर निकला जा सकता था, क्योंकि इसके अन्य तीन किनारे इमारतों से घिरे हुए थे।

अपने सैनिकों के साथ निकास को अवरुद्ध करने के बाद, डायर भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया, सैनिक तब तक गोलीबारी करते रहे जब तक उनका गोला-बारूद ख़त्म नहीं हो गया। 500 से अधिक लोग मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए। इस हत्याकांड का बदला क्रांतिकारी उधम सिंह ने लंदन जाकर लिया।उन्होंने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे माइकल ओ ड्वाएर की गोली मारकर हत्या कर दी।

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इस मौके पर बच्चों ने कला शिक्षक प्रदीप शर्मा के दिशा निर्देशन में शहीद उधमसिंह का चित्र भी बनाया। जिसमें 6 की दिव्यांशी,मानस नेगी,7 की हिमानी अधिकारी,प्रीति नेगी,8 की भूमिका जलाल,यश बिष्ट,9 के राज फुलारा,,हार्दिक खड़का,10 के ममता बोरा,मानसी करगेती,12 के विक्रम,रिया नेगी ने बाजी मारी। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता जलियांवाला बाग में बसंत कविता का वाचन भी किया गया।जलियांवाला बाग कांड पर एक फिल्म भी देखी गई।इस मौके पर प्रधानाचार्य श्री राम यादव,मनोज जोशी,सी पी खाती,महेंद्र आर्या,बालकृष्ण चंद,सुभाष गोला आदि मौजूद रहे।