शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने स्वामी रामदेव के बयान पर  अपनाया कड़ा रुख

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चारधाम मंदिरों के कपाट बंद होने को लेकर फैली भ्रांति को दूर करने के लिए 16 दिसंबर से शीतकालीन यात्रा शुरू की जाएगी, जिसमें लोगों को यह समझाया जाएगा कि केवल ग्रीष्मकाल में मंदिरों के कपाट बंद होते हैं, न कि दर्शन। इस दौरान देवता पूजन ग्रीष्मकालीन स्थान पर किया जाता है, जबकि शीतकालीन स्थान पर पूजा होती है। 

इससे संबंधित जानकारी व प्रचार-प्रसार के लिए वसंत विहार के ऑफिसर्स कॉलोनी में एक धर्मसभा आयोजित की गई, जिसमें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने प्रमुख रूप से भाग लिया। इस सभा में उन्होंने गोवध निषेध पर जोर दिया और इसे हिंदू धर्म की पहली शर्त बताया। 

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सभा के दौरान शंकराचार्य ने स्वामी रामदेव के हालिया बयान पर भी कड़ा रूख किया। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव ने धारा 370 पर बयान दिया था, जिसके बाद रामदेव ने खुद को शंकराचार्य नहीं मानने की बात कही थी। शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि स्वामी रामदेव ने धारा 370 का समर्थन किया था, जो कि उनके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और हिंदू धर्म से संबंधित मुद्दों पर चिंताजनक है। उनका कहना था कि यदि स्वामी रामदेव इस समर्थन को जारी रखते हैं, तो उन्हें राष्ट्रद्रोह के तहत मुकदमा चलाना चाहिए और सनातन धर्म से बहिष्कृत किया जाना चाहिए। 

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उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी रामदेव ने यह बयान दिया था कि धारा 370 लागू रखने से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया जा सकता था, लेकिन इसके बावजूद वे किसी ठोस आधार पर अपना आरोप सिद्ध नहीं कर सके। शंकराचार्य ने यह सवाल उठाया कि अगर कोई व्यक्ति अपने सर्वोच्च धर्माचार्य को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की बात करता है, तो क्या उसे हिंदू धर्म में रहने का अधिकार है या नहीं, इस पर गंभीर विचार होना चाहिए। 

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इस धार्मिक सभा में शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा और गोवध पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिसे वे हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं।

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