Corbetthalchalरामनगर – सिद्धपीठ श्री बालाजी मंदिर कोसी घाट, रामनगर में गुरुवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही मंदिर परिसर में सैकड़ों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो बालाजी महाराज को गुरु स्वरूप में स्वीकार कर उनकी आराधना हेतु अत्यंत आह्लादित और भक्ति से सराबोर दिखाई दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्म मुहूर्त में श्री बालाजी महाराज के विशेष चोला श्रृंगार से हुआ। प्रातः 8 बजे हवन अनुष्ठान प्रारंभ हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर वातावरण को वैदिक मंत्रों और आस्था से आलोकित कर दिया।
इसके पश्चात श्री बालाजी महाराज की दिव्य आरती की गई एवं उन्हें सवामणी का भोग अर्पित किया गया। भक्तों द्वारा तिलक लगाने का पावन क्रम भी आरंभ हुआ। मंदिर के सेवक कलाकारों ने भक्ति रस में पगे भजनों का सुंदर गायन प्रस्तुत किया, जिनमें भक्तों ने झूमते हुए भाग लिया।
महंत जी का प्रेरणादायक संदेश
कार्यक्रम के समापन पर मंदिर के महंत जी ने अपने उद्बोधन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “जीवन के प्रथम गुरु माता-पिता होते हैं, परंतु समय-समय पर अनेक गुरु हमारे जीवन की दिशा और दशा बदलते हैं। श्री हनुमान जी को गुरु बनाने का सबसे बड़ा कारण उनका निःस्वार्थ समर्पण, अपार ज्ञान, शक्ति और भक्ति है, जो हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। हनुमान जी की कृपा से ही हम इन गुणों को जीवन में धारण कर सकते हैं।”
महंत जी ने अंत में श्री बालाजी महाराज से प्रार्थना की कि सभी भक्तों के दुख, दरिद्रता और बाधाओं का नाश हो और उनका जीवन स्वस्थ, समृद्ध और यशस्वी बने।
जय श्री बालाजी महाराज! जय श्री सीता-राम!


