दलित नेता जगदीश को जीते जी सुरक्षा देने में नाकाम प्रशासन ने श्रद्धांजलि सभा पर लगाया कड़ा पहरा

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जगदीश हत्याकांड

शोकसभा में पहुंचे लोगों ने पुलिस बल की मौजूदगी पर उठाए सवाल
जनसंगठनों का  से 11 सितंबर को भिक्यासैण में प्रदर्शन का निर्णय

सल्ट (अल्मोड़ा)। कॉर्बेट हलचल
सवर्ण युवती से विवाह की वजह से अपहरण कर निर्दयता से मौत के घाट उतारे गए उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के युवा दलित नेता जगदीश चंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके गांव पनुवाद्योखन में कल 4 सितंबर को शोकसभा का आयोजन किया गया। शोकसभा में स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही अल्मोड़ा, काठगोदाम, पौड़ी, रामनगर से आए लोगों ने हिस्सा लिया। मृतक जगदीश की छोटी बहन गंगा के साथ उसके भाई पृथ्वीपाल भी शोकसभा का हिस्सा रहे। जगदीश की मां हत्याकांड के बाद से अब भी सदमे की वजह से घर से नहीं निकल रही है। लालमणि के संचालन में आयोजित शोकसभा में पनुवाद्योखन के ग्राम प्रधान ने जगदीश को न्याय दिलाने की लड़ाई को उसके अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लेते हुए कहा कि इसके लिए हमें जिस हद तक जाना पड़ेगा, जायेंगे।


जब पत्नी मांग रही थी, तब क्यों नहीं दी सुरक्षा
इंकलाबी मजदूर केंद्र के युवा क्रांतिकारी नेता रोहित रुहेला ने कार्यक्रम में पुलिस की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस को यह मुस्तैदी उस समय दिखानी चाहिए थी, जब उसकी पत्नी गीता पुलिस से सुरक्षा मांग रही थी। रुहेला ने जगदीश के अपहरण और हत्याकांड में शामिल बाकी बचे आरोपियों की गिरफ्तारी की भी मांग की।


इस देश में दलित को सिर्फ मरने की आजादी
क्षेत्र पंचायत सदस्य खीमाराम ने 21वीं सदी में मध्ययुगीन बर्बरता के साथ की गई जगदीश की हत्या पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि देश भले ही आजाद हो, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि इस देश में दलितों को किस बात की आजादी है। दलित को केवल मरने की ही आजादी है। आज इस जगदीश की हत्या हुई तो कल को किसी दूसरे जगदीश की हत्या भी होगी। इस गांव के जगदीश की नहीं तो किसी दूसरे गांव के युवक की। उन्होंने एक वाजिब सवाल उठाते हुए कहा कि कानून आखिर तभी ही क्यों जागता है जब लोगों की हत्या हो जाती है, क्या पहले से इतनी नहीं दिखाई जा सकती?


शोकसभा में पुलिस का पहरा सरकार का डर : मुनीष
समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार ने सभा स्थल पर पुलिस की फौज पर सवाल उठाते हुए कहा अपनी जान बचाने के लिए छिपता हुआ आदमी जब पुलिस से सिक्योरिटी की गुहार लगाता है तो पुलिस कोर्ट का ऑर्डर मांगती है। लेकिन शोक सभा के लिए बिना मांगे ही यहां सैंकड़ों पुलिसकर्मियों को तैनात क्यों कर दिया गया, जबकि हमने तो कोई सिक्योरिटी मांगी ही नहीं थी। कार्यक्रम में पुलिस सुरक्षा को सरकार का डर बताते हुए उन्होंने कहा कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार केवल हमारे आवाज उठाने से ही डरती है। जो भी आवाज जातिवाद, अन्याय, शोषण और प्रशासन को नंगा करने के लिए उठती है, सरकार हर ऐसी आवाज से डरती है। उन्होंने कहा कि हत्या के मामले में तो कानून अपना काम करेगा ही लेकिन जो जातिवादी अजगर हमारे लडको को निगल रहा है उसके खिलाफ हमें ही खड़ा होना पड़ेगा। हम जगदीश का खून बेकार नहीं जाने देंगे। उसके गांव से ही जातिवादी मानसिकता के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंककर रहेंगे।


हम विश्व गुरु कहां, इंसान कहलाने लायक नहीं
उत्तराखंड सर्वोदयी मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन ने जगदीश की पत्नी और मां को सम्मानजनक मुआवजे की मांग उठाते हुए कहा कि जब राजस्थान की कांग्रेस सरकार में नौकरी और मुआवजा दिया जा सकता है तो यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार में क्यों नहीं दिया जा सकता।  पौड़ी के नरेशचंद्र नौटियाल ने जगदीश हत्याकांड को समूची मानवता के लिए शर्मनाक बताते हुए कहा कि इस घटना ने सभी समाज का सिर शर्म से झुका दिया है। हम अपने आप को विश्व गुरु कहते नहीं अघाते हैं, लेकिन निर्मम सच्चाई यह है कि हम अभी भी खुद को इंसान कहलाने लायक भी सभ्यता नहीं सीख पाए हैं। जगदीश की हत्या इसका जीता जागता उदाहरण है।


सुरक्षा न देने का प्रशासन बना रहा बहाना
गांव की धना देवी ने जीवन में पहली बार माइक पकड़ते हुए हत्यारों को मौत की सजा देने की मांग करते हुए विधायक और तमाम नेताओं पर अपना गुस्सा निकाला। अल्मोड़ा के जीवन चंद्र आर्य ने प्रशासन की पोल खोलते हुए कहा कि जगदीश को सुरक्षा देने में नाकाम प्रशासन अब बहाना बना रहा है कि शिकायत में उन्होंने अपना पता नहीं लिखा, जिस वजह से जगदीश को सुरक्षा नहीं दी जा सकी। लेकिन प्रशासन ने शिकायत में यह नहीं पढ़ा कि शिकायत करने वाले अपनी शिकायत में खुद कह रहे हैं कि खौफ की वजह से वह कभी इसके तो कभी दूसरे के घर में छिपकर रह रहे हैं। ऐसे में वह अपना स्थाई पता कैसे दे सकते थे। इसके बाद भी अगर प्रशासन की नियत साफ थी तो उसने शिकायत में दिए गए फोन नंबर पर पीड़ितों से संपर्क क्यों नहीं साध लिया।


शहीद जगदीश की मौत पर हम चुप नहीं रहेंगे : पीसी
उपपा चीफ पीसी तिवारी ने जगदीश के साथ अपनी यादों का सफर शुरू करते हुए बताया कि कैसे जगदीश उनके संपर्क में आकर उनकी पार्टी का प्रत्याशी तक बना। उन्होंने कहा कि ऊर्जावान युवा जगदीश की मौत से क्षेत्र का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। अब सरकार को डर है कि जातिवाद के खिलाफ चल रही यह लड़ाई पूरे उत्तराखंड से होते हुए देशव्यापी रूप न ले ले। लेकिन उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी जातिवाद के बेदी पर अपने शहीद हुए नेता जगदीश की मौत पर चुप्पी नहीं साधेगी। उसकी क्रूरतम हत्या की लड़ाई सब मिलकर लड़ेंगे। शोकसभा के बाद दो मिनट का मौन रखकर जगदीश की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की गई।


11 सितंबर को भिक्यासैण तहसील में प्रदर्शन
शोकसभा में 11 को भिक्यासैण में प्रदर्शन को घोषणा के साथ निकली पांच मांगें जगदीश चंद्र के गांव पनुवाद्योखन में आयोजित शोकसभा में जगदीश हत्याकांड के खिलाफ 11 सितंबर को भिक्यासैण में एक देशव्यापी विशाल प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। इसका ऐलान मौके पर मौजूद तमाम जनसंगठनों के प्रतिनिधियों की राय के बाद ग्राम प्रधान बीरबल ने किया। जिसका ग्रामीणों ने हाथ उठाकर समर्थन किया। इसके अलावा इस शोकसभा में जगदीश के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा, परिवार के दो सदस्यों पत्नी और बहन को सरकारी नौकरी, अपहरण और हत्याकांड में शामिल अन्य लोगों की जल्द गिरफ्तारी, अल्मोडा डीएम और एसएसपी की बर्खास्तगी के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए त्याग पत्र दिए जाने की मांग की गई।


नेतागिरी दिखाने आए भाजपाइयों को लगाई लताड़
शोकसभा में सांत्वना की आड़ में अपनी नेतागिरी दिखाने का कुटिल एजेंडा भाजपाइयों को भारी पड़ गया। लोगों ने उन्हें मौके पर ही जमकर लताड़ लगाते हुए भागो यहां से के नारे लगाए। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से सकपकाए भाजपाई अपना से मुंह लेकर खिसियानी बिल्ली की तरह एक तरफ बैठे रहे। दरअसल खुद को भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित मोर्चा के जिला महामंत्री बताने वाले एक व्यक्ति ने कार्यक्रम के दौरान माइक थामते हुए पहले तो अपना ही जरूरत से ज्यादा लंबा परिचय देकर माहौल को बदमजा कर दिया। इतने से भी नेताजी का मन नहीं भरा तो अपने साथ गाड़ी में लदकर आने वालों का भी वह बेहद लंबा परिचय उसी भाषा शैली में करने लग गए, जिस शैली में राजनैतिक कार्यक्रमों में किया जाता है। हत्याकांड के बाद से अब तक भी स्थानीय विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री द्वारा जगदीश की मौत पर चुप्पी साधने से खफा ग्रामीणों के सब्र का प्याला इन नेताओं की भाषणनुमा बातों से भर उठा। कई युवा गुस्सैल होकर स्थानीय भाजपा विधायक पर बरस पड़े। इनका कहना था कि हर समय सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले विधायक के पास सोशल मीडिया तक पर दो शब्द सहानुभूति के लिखने का समय नहीं है। भाजपाइयों ने जब यह कहा कि यहां करने से कुछ नहीं होगा तब तो बाकी ग्रामीण भी खासे भड़क उठे। ग्रामीणों ने इन नेताओं को जमकर लताड़ लगानी शुरू कर दी। बाद में सकपकाए यह नेता एक किनारे बैठ गए।


कितना रहा पुलिस बल
जरूरत पर नदारद पुलिस ने शोकसभा पर लगा दिया अभूतपूर्व पहरा पनुवाद्योखन के जिस युवा दलित नेता जगदीश चंद्र को प्रशासन सवर्ण युवती से विवाह के बाद सुरक्षा तक मुहैया नहीं करा सका, उसकी हत्या के बाद रविवार को आयोजित शोक सभा पर प्रशासन का अभूतपूर्व पहरा रहा। गांव के बस स्टैंड सहित गांव जाने वाले हर रास्ते पर तो पुलिस मुस्तैद थी ही, श्रद्धांजलि स्थल पंचायत भवन पर भी दो दर्जन पुलिसकर्मी तैनात दिखाई दिए। यहां तक की रामनगर से बुलाए गए आईआरबी जवानों के साथ ही डीडीहाट थानाध्यक्ष को मौके पर तैनात किया गया था।

सवर्ण युवती से शादी कर जान गवाने वाले दलित नेता जगदीश चंद की उनके गांव में आयोजित शोक सभा में मौजूद लोग।
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