देहरादून।यहां पर जिला प्रशासन और MDDA ने आश्चर्यजनक विकास मॉडल विकसित कर लिया है। ये विकास मॉडल आम जनता को सहूलियत देने वाला कम और रसूखदारों अमीरों और बड़ी कंपनियों को हर सुविधा देने वाला बन गया है। ऐसा हम क्यों कह रहें हैं इसे समझिए। हमें लगता है कि अगर आप देहरादून के रहने वाले हैं तो आप भी इस मुश्किल से दो चार हो रहें होंगे।
देहरादून का सबसे पॉश इलाका है कि राजपुर रोड। यूं तो देहरादून शांत शहर है लेकिन राजपुर रोज पूरी चमक धमक वाला इलाका है। इस रोड पर कई बड़े ब्रैंड्स के शोरूम, डिस्पले, होटल्स, रेस्त्रां और कैफे हैं। इस पूरी रोड पर ट्रैफिक का दबाव सबसे अधिक रहता है। घंटाघर से लेकर मसूरी डायवर्जन तक शायद ही कहीं आपको गाड़ी तीसरे गियर में डालने का मौका मिले। फिर भी स्थानीय प्रशासन और देहरादून में विकास का जिम्मा उठाए एमडीडीए इस एक सड़क को आम लोगों के लिए सहूलियत भरा नहीं बना पा रहा है लेकिन दिलचस्प ये है कि बड़े ब्रैंड्स के लिए यही सरकारी संस्थाएं हर मदद करने को तैयार होती दिख रहीं हैं।
हाल ही में राजपुर रोड पर पैसिफिक मॉल से आगे अमेरिका की मशहूर कैफे चेन स्टारबक्स का नया कैफे खुला है। स्टारबक्स का कैफे जहां खुला है वहां कैफे मालिक के पास पार्किंग की जगह नहीं थी। जाहिर है कि नियमों के तहत वहां कैफे नहीं खुल सकता था। खुद MDDA आजकल उत्तराखंड के लोकल उद्यमियों के स्टार्टअप कैफे, रेस्त्रां, होटल्स को पार्किंग न होने का हवाला देकर सील कर रहा है। लिहाजा इस नियम से देखा जाए तो स्टारबक्स को भी सील कर देना चाहिए था। लेकिन अफसरों ने स्टारबक्स के लिए एक शानदार रास्ता निकाल दिया।
वो भी ऐसा रास्ता कि स्टारबक्स का पूरा ख्याल रखा जाए। MDDA और जिला प्रशासन ने स्टारबक्स कैफे के सामने की फुटपाथ पर स्मार्ट पार्किंग का निर्माण करा दिया। बस फिर क्या था। स्टारबक्स की मुश्किल आसान हो गई। उसके लिए यही पार्किंग अब काम आ जाएगी। अब जाहिर सी बात है कि इस पार्किंग की आड़ में स्टारबक्स को पार्किंग के नियमों में छूट मिल ही जाएगी।
आम लोगों को चलने के लिए फुटपाथ भले ही न मिले लेकिन अफसरों और सरकारी संस्थाओं की मेहरबानी से बड़े ब्रैंड्स, शोरूम्स को पार्किंग की जगह जरूर मिल जाती है। जनता के पैसे से बने फुटपाथ पर कुछ खास दुकानों में आने वालों की गाड़ियां पार्क होंगी और लोगों को सड़क पर ही चलना होगा। उन्हे चलने के लिए फुटपाथ नहीं मिलने वाली। ऐसा ही हाल पैसिफिक मॉल के बाहर भी है। वहां भी फुटपाछ पर ही गाड़ियां पार्क होती हैं। प्रशासन, MDDA के अधिकारी यहां से रोज गुजरते होंगे
लेकिन उन्होंने इस मॉल को सील करना ठीक नहीं समझा। यही नहीं पैसिफिक मॉल के सामने भी सड़क के किनारे गाड़ियों की लंबी चौड़ी पार्किंग होती है लेकिन पुलिस से लेकर प्रशासन तक सभी चुप रहते हैं।
घंटाघर से राजपुर रोड की तरफ बढ़ते ही आपको या तो पार्किंग नहीं दिखेगी या फिर पार्किंग को लेकर किए गए अजीबोगरीब प्रयोग दिख जाएंगे। आम तौर पर चौराहों के इर्दगिर्द गाड़ियों की पार्किंग नहीं होती है लेकिन हैरानी ये कि सरकारी अफसरों ने घंटाघर से 50 मीटर की दूरी पर ही पोस्टऑफिस से लगकर बाकायदा सरकारी पार्किंग बनवा दी। ये स्मार्ट पार्किंग कहलाई। इस पार्किंग की दूसरी ओर भी दुकानों के सामने दो पहिया और चार पहिया वाहन खड़े रहते हैं लेकिन अफसरों को नहीं दिखते।


