पिछले तीन दिनों में ही जोशीमठ शहर में 46 मकानों में आ चुकी हैं दरारें
जोशीमठ। कॉर्बेट हलचल
प्राचीन और आध्यात्मिक नगर जोशीमठ इन दिनों अपने अस्तित्व की पहचान के लिए जूझ रहा है। नगर में जगह-जगह से हो रहा भू-धंसाव लगातार बढ़ रहा है। स्थिति यह हो गई है कि तीन दिन में करीब 46 मकानों में दरारें आ रहीं हैं।
नगर पालिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंहधार वार्ड में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित दो होटल तिरछे हो गए हैं, जिससे यहां भयावता का अंदेशा लगाया जा सकता है। एक साल से नगर में भूधंसाव हो रहा है। हर दिन मकानों में दरारें आने की संख्या बढ़ रही है। हैरानी की बात यह है कि भू-धंसाव के लोग दहशत में है फिर भी फिर भी प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर से यहां सुरक्षा के उपाय नहीं किए जा रहे हैं। नगर में हो रहे धू-धंसाव को लेकर नगर पालिका हर दिन की रिपोर्ट दर्ज कर रही है।
तीन दिन पहले 513 भवनों में दरारें आई थीं जबकि सोमवार को यह संख्या 559 पहुंच गई है। ऐसे में तीन दिन में 46 मकानों में दरारें आ रही हैं। अधिक खतरे की जद में आए 16 परिवारों में से आठ परिवारों ने मकान छोड़ दिए हैं जबकि आठ अभी भी खतरे के साये में रहने के लिए मजबूर हैं।
नगर पालिका की रिपोर्ट के अनुसार गांधीनगर वार्ड में 133, मारवाड़ी में 28, नृसिंह मंदिर के पास 24, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 और अपर बाजार वार्ड में 26, मकानों में दरारें आई हैं। नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जहां भी धू-धंसाव की सूचना मिल रही है वहां तुरंत टीम को भेजकर निरीक्षण कराया जा रहा है।
सिंहधार वार्ड में दो होटल हुए तिरछे
सिंहधार वार्ड में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित दो होटल मलारी इन और माउंट व्यू भू-धंसाव से तिरछे हो गए हैं जिससे पांच मंजिला इन होटलों की छतें आपस में मिल गई हैं। होटलों के आसपास रहने वाले करीब 16 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। इन भवनों में रहने वाले किरायेदार मकान खाली करके जा चुके हैं लेकिन भवन स्वामी वहीं रह रहे हैं। नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जल्द इन होटलों में यात्रियों को न ठहराने के लिए नोटिस दिया जाएगा।
आदि गुरु शंकराचार्य की है तपस्थली
जोशीमठ नगर आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली रहा है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम से शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विराजमान होती है और यहां पर शीतकाल के दौरान गद्दी की पूजा की जाती है। जोशीमठ बदरीनाथ धाम और हेमकुंड की यात्रा का प्रमुख पड़ाव भी है। इसके अलावा चीन सीमा का यह अंतिम नगर है यहां सेना की ब्रिगेड व आईटीबीपी कैंप हैं।
इनका कहना है ….
जोशीमठ नगर का उपचार करने में सरकार को वर्षों लग जाएंगे, तब तक लोग क्या करेंगे। एक के बाद एक भवनों में दरारें आ रही हैं। नगर के ट्रीटमेंट से पहले तत्काल किए जाने वाले कार्यों की जरूरत है। जिन लोगों के मकानों को अधिक खतरा बना है उनके शीघ्र पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए। – अतुल सती, संयोजक, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति