दुखद: रानीखेत में जन्मे साहित्यकार, लेखक, पत्रकार त्रिनेत्र जोशी नहीं रहे

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रानीखेत। कॉर्बेट हलचल
रानीखेत में जन्मे प्रसिद्ध कवि, पत्रकार और अनुवादक त्रिनेत्र जोशी का गुरूवार को हरियाणा के गुरुग्राम में निधन हो गया।  74 वर्षीय जोशी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। त्रिनेत्र जोशी के निधन से पत्रकारिता व साहित्य जगत में शोक की लहर है।

त्रिनेत्र जोशी का फाइल फोटो


साहित्यकार त्रिनेत्र जोशी का मूल गांव द्योलीखान शीतलाखेत था, उनके‌ पिता व्यवसाय के लिए रानीखेत आकर बस गए थे। यहां सदर बाजार में अपर खडी़ बाजार तिराहे पर उनके पिता की बिसातखाने की दुकान थी‌। बाद में उन्होंने शंकर लाल बिल्डिंग (वर्तमान बंसल‌ बिल्डिंग) में दुकान शिफ्ट की। इसी भवन में उनका निवास भी रहा।

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मिशन इंटर कॉलेज से पढ़ाई
26 मई 1948 को रानीखेत में त्रिनेत्र जोशी का जन्म हुआ। रानीखेत के मिशन इंटर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई के बाद  त्रिनेत्र स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के लिए उत्तरकाशी चले गए। कुछ समय यहां रुककर वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए । जेएन‌यू से उन्होंने हिंदी व चीनी भाषा में परास्नातक किया। वह देश के तमाम बड़े अखबारों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

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साहित्य में अहम योगदान
त्रिनेत्र देश के उन विरले अनुवादकों में थे, जिन्होंने चीनी भाषा का साहित्य हिंदी साहित्यिक समाज को उपलब्ध कराया। बारिश में करुणानिधान, स्वतःस्फूर्त, यों ही और नववर्ष की पहरेदारी उनके द्वारा अनूदित महत्वपूर्ण कृतियां हैं। त्रिनेत्र द्वारा रचित प्रमुख काव्य संग्रहों में – “घूम गया कई मोड़”, “गर्मियाँ”, “चिट्ठी”, “जाते हुए”, “झिलमिल”, “नेकांत”, “भीतर-बाहर”, “महानगर” हैं। उन्होंने एक नाटक “तूफान” भी लिखा।

राज्य आंदोलन में सक्रियता
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर में त्रिनेत्र ने देहरादून स्थित हिमालय दर्पण अखबार की कमान भी संभाली और अखबार के जरिए आंदोलन की बखूबी मदद की। त्रिनेत्र विदेश मामलों के भी बड़े जानकार थे। हालिया रूस यूक्रेन युद्ध और श्रीलंका संकट आदि पर उन्होंने महत्वपूर्ण टिप्पणियां लिखीं थीं।

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रानीखेत से लगाव
त्रिनेत्र का अपनी जन्मस्थली रानीखेत से बेहद लगाव था। अक्सर वे रानीखेत आते रहे। कभी अपने बच्चों के साथ तो कभी अकेले, लेकिन अपने विद्यालय मिशन इंटर‌ कालेज जाना‌ नहीं भूलते‌ थे।