उत्तराखंड में बदलते मौसम चक्र ने मौसम वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। दिसंबर महीना समाप्ति की ओर है, लेकिन मैदानों से लेकर पहाड़ों तक अब तक न तो बारिश हुई है और न ही बर्फबारी। लंबे समय से वर्षा और हिमपात न होने के कारण प्रदेश की ऊंची चोटियां धीरे-धीरे बर्फविहीन होती जा रही हैं। जिन चोटियों पर दिसंबर में आमतौर पर बर्फ की सफेदी नजर आती थी, वहां अब काले पत्थर दिखने लगे हैं। बरसात के मौसम में नंदा घुंघटी की चोटी पर दिखाई देने वाली मोटी बर्फ की परत भी इन दिनों काफी कम हो गई है।
दिसंबर का अंतिम सप्ताह शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक मौसम में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। आसमान में बादल छा रहे हैं, पर बारिश नहीं हो पा रही है। इसका असर औली के साथ-साथ चोपता, पोखरी, नंदानगर और गैरसैंण जैसे क्षेत्रों में भी साफ नजर आ रहा है, जहां आमतौर पर इस समय बर्फबारी होती थी।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े धन सिंह घरिया का कहना है कि बीते कुछ वर्षों से मौसम का चक्र पूरी तरह बिगड़ गया है। समय पर बारिश और बर्फबारी न होने से पहाड़ों पर बर्फ की मात्रा लगातार घट रही है, जिसका प्रभाव न केवल मानव जीवन बल्कि वन्यजीवों पर भी पड़ रहा है।
मौसम की इस शुष्क ठंड का असर स्वास्थ्य पर भी दिखने लगा है। जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग धनिक के अनुसार सर्दी, जुकाम और श्वास से संबंधित रोगियों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने लोगों को गुनगुना पानी पीने, ठंड से बचाव करने और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी है।
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 24 दिसंबर को देहरादून समेत हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, चंपावत और पौड़ी जिलों के कुछ हिस्सों में घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया गया है। ऊधमसिंह नगर, चंपावत और नैनीताल में शीत दिवस जैसी स्थिति बनने की संभावना है। वहीं 27 दिसंबर तक प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है, जबकि 28 और 29 दिसंबर को पर्वतीय जिलों में बारिश और बर्फबारी होने के आसार जताए गए हैं।




