रामनगर – रचनात्मक शिक्षक मण्डल द्वारा क्यारी के बच्चों को लोकभाषा कुमाउनी,गढवाली में आज स्थानीय पक्षियों की जानकारी दी गयी। चडाँ दगडी जाण पछ्यांण कार्यक्रम के तहत क्यारी के 20 बच्चों ने आज देचोरी रेंज में घूम कर पक्षियों के बारे में जाना और उनको देखा भी। बच्चों के तीन ग्रुप घुघती, रिसि, सिटोल बना कर के बच्चों ने भृमण किया।वरिष्ठ पक्षीविद भाष्कर सती,नेहाल सिंह ने बच्चों को बताया कि कार्बेट व उसके आसपास के क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 600 प्रजातियां पायी जाती हें।जिसमें 350 के आसपास स्थानीय हैं जबकि 250 पक्षी प्रवासी पक्षी हैं ।जो विशेष रूप से जाड़ों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं।और गर्मी की शुरुआत होते ही अपने गृह क्षेत्रों को चले जाते हैं।उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन पक्षी,एशियन पैराडाइज,स्केरलेट मिनिवेट्ट, स्विफ्ट हैं।इसमें स्विफ्ट मिस्र से आती है जिसको लकी बर्ड स्थानीय भाषा में गोताई कहते हैं।पक्षी विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को इन पक्षियों के कुमाउनी नाम मुशिया, सुवा,कफू,हिलांसी, कुकुड़ा, नडचिया, चांचड़, सिटोला, हुटहुतिया,टीटियां की जानकारी दी गयी।उनके द्वारा स्थानीय स्थायी पक्षियों की विशेषताओं के अलावा उनकी आवाज निकल कर बच्चों को सिखाई गयी।कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम संयोजक नवेंदु मठपाल द्वारा एक कुमाउनी कविता चडाँक बरात से की गयी।इस कविता में लगभग 50 से अधिक चिड़ियों के कुमाउनी में नाम हैं।बच्चों को पंक्षियों के नाम को जानने सम्बन्धी खेल भी करवाया गया।इस दौरान दीप सती शंकर सती,पंकज सती,पीयूष कांडपाल,लोकेश तिवारी,हिमानी कांडपाल, पवन,साक्षी सती,विशाखा सती,मुकुल सती मौजूद रहे।