चन्द्रशेखर जोशी
रामनगर:-प्राथमिक से लेकर डिग्री स्तर तक के सरकारी शिक्षकों के फोरम रचनात्मक शिक्षक मण्डल ने पटरानी में महिला दिवस पर बालिकाओं को निःशुल्क कम्प्यूटर सेंटर का तोहफा दिया।
उदघाटन झिरना की रेंजर संचिता वर्मा ने किया।उन्होंने विस्तार से महिलाएं कैसे आगे बढ़ सकती हैं और बातचीत रखी।कारगिल पटरानी में विशेष रूप से क्षेत्र की बालिकाओं,युवाओं के निःशुल्क प्रशिक्षण के लिए खुले उपरोक्त केंद्र पर हुए कार्यक्रम की शुरुआत साहिर लुधियानवी के नेहा आर्या द्वारा गाये गीत वो सुबह कभी तो आएगी व उज्यावक दगडी टीम के सदस्यों द्वारा गाये गए विभिन्न गीतों से हुई।
बैठक को सम्बोधित करते रचनात्मक शिक्षक मण्डल के संयोजक नवेन्दु मठपाल ने कहा कम्प्यूटर आज की जरूरत बन चुका है चूंकि पटरानी अत्यंत दुर्गम क्षेत्र है इसलिए शिक्षक मण्डल ने यहां कम्प्यूटर सेंटर खोलने का फैसला लिया।ब्राइट कम्प्यूटर,रामनगर के विनोद जोशी द्वारा दिये गए कम्प्यूटरों की मदद से योग्य प्रशिक्षक बच्चों को प्रशिक्षण देंगे।
सावित्रीबाई फुले सांयकालीन स्कूल से जुड़ी रेखा आर्या ने महिला दिवस के इतिहास पर बातचीत रखते हुए कहा,1910 में क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी।
इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली. उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों. तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले।
एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन के ज़हन में आया ।
क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं. वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था।
उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं. पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया. रिम्पी ने समाज में बढ़ते नशे पर चिंता जाहिर की।
सरिता आर्य ने शिक्षा के बढ़ते निजीकरण और उसके छात्रओं पर पड रहे प्रभावों पर बातचीत रखी।
इस मौके पर शिक्षक मण्डल के बालकृष्ण चन्द,जानकी देवी,भवानी देवी,तुलसी देवी,चनुली देवी,रेखा, नेहा ,सरिता,चंचला,निधि, सरिता, अंजली, भावना, नीकिता, रविना ,किरन, अमीषा, बैजन्ति, रोशनी, पूजा , पियंका देवी , मन्जू देवी, नीमा देवी, अंजली, भागुली देवी, मनीषा , पूजा ,बसन्ति देवी , आशा ,चनुली देवी, रिंकी, शलोनी ,विकास, हिमांशु, आयुष कुमार , पारस , अजय कुमार, हर्षित कुमार, संदीप कोहली , अनू, मौजूद रहे।


