Corbetthalcha रामनगर- उत्तराखंड में इन दिनों प्रदेश में प्रत्येक खातेदार की खतौनी में अंश निर्धारण का कार्य चल रहा है। पीएम किसान से जुड़े लक्ष्य आधारित खातों में अंश निर्धारण का कार्य पूरे प्रदेश में संपन्न हो चुका है।
उत्तराखंड लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चन्द्र घिल्डियाल ने राजस्व परिषद को पत्र लिखते हुए कहा है कि मैदानी जनपदों में भूमि की खरीद फरोख्त ज्यादा होने से अधिकांश खतौनी खाते संयुक्त और जटिल है जिनमें अंश निर्धारण हेतु जनपद के माल अभिलेखागार से भी पुरानी खतौनिया लानी पड़ेगी और मैदानी जनपदों के जिला माल अभिलेखागार और तहसीलो के रिकॉर्ड रूम में धारित अधिकांश खतौनियां जीर्ण-शीर्ण और कटी-फूटी हालत में है।
तथा पुरानी खतौनिया, इंक पेन से लिखी होने से अधिक समय अवधि और नमी व मूल के कारण पठनीय भी नहीं है इस कारण से यदि लेखापाल जननद के रिकॉर्ड रूम के पुराने खतौनी अभिलेख को लेकर आएगा और उनको अधिक बार उलटा-पलदा जाएग तो उक्त पुराना रिकॉर्ड और भी क्षतिग्रस्त हो जाएगा वैसे भी लेखपाल के पास इसके अतिरिक्त भी अन्य नहत्वपूर्ण
राजकीय कार्यों को समय से पूर्ण करने की जिम्मेदारी भी है। इस समस्या के समाधान हेतु पुराना रिकॉर्ड, खतौनिया लाने की जिम्नेदारी संबंधित खातेदार की होनी चाहिए।
बैठक में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि उक्त जटिल कार्य को सन्पादित करने में समय बद्धता में शिथिलता रहेगी। राजस्व परिषद् के द्वारा कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिये जाने के कारण संघ सदस्यों में भारी रोष व्याप्त है एवं निर्णय लिया गया है कि अंश निर्धारण कार्य को गुणवत्तापरक पूर्ण किये जाने हेतु परिषद् स्तर से समय की बाध्यता को समाप्त किया जाये।
षट्वार्षिक खत्तौनियों के पूर्व निर्धारित रोस्टर के अनुसार ही कार्य करवाया जाये।अंश निर्धारण कार्य में खातेदारों द्वारा खाते में अपना अंश सिद्ध करने हेतु स्वयं अपने अभिलेखों / साक्ष्यों को प्रस्तुत किये जाने पर ही अंश निर्धारित किये जाने की व्यवस्था की जाये। जिन जटिल खातों का अंश निर्धारण किया जाना लेखपाल स्तर पर सम्भव न हो उन जटिल खातों में अंश निर्धारण किये जाने हेतु ज०वि०अधि० की धारा 176 (खातों का विभाजन) के अन्तर्गत नियमानुसार सम्बन्धित न्यायालय सहायक कलक्टर प्रथम श्रेणी को प्रेषित किये जाने की व्यवस्था की जाये।
अंश निर्धारण कार्य करने हेतु सम्पूर्ण उत्तरदायित्व लेखपाल का न हो बल्कि त्रुटि की दशा में लेखपाल को पूर्ण संरक्षण/सुरक्षा प्रदान की जाये। अंश निर्धारण कार्य में त्रुटि की दशा में रजिस्ट्रार कानूनगो / राजस्व निरीक्षक / नायब तहसीलदार/तहसीलदार के स्तर पर त्रुटियों को सुधारने की व्यवस्था की जाये। उक्त कार्य को सुगमता से पूर्ण किये जाने हेतु समस्त लेखपालों को तकनीकी संसाधन एवं मानव संसाधन यथा अद्यावधिक तकनीक युक्त लैपटॉप इन्टरनैट मासिक डाटा/प्रिन्टर/डाटा एन्ट्री ऑपरेटर उपलब्ध कराये जाये।
उक्त मांगों का उचित निराकरण न होने तक कोई भी लेखपाल खतौनी में खातेदारों के अंश निर्धारण का कार्य नहीं करेगा। वर्तमान समय में प्रत्येक जनपद में अंश निर्धारण का कार्य सम्पादित किये जाने हेतु राजस्व उपनिरीक्षकों पर उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों द्वारा अनावश्यक दवाब बनाया जा रहा है अतः उक्त के दृष्टिगत राजस्व उपनिरीक्षकों को पर्याप्त मानव / तकनीकी संसाधन उपलब्ध नही कराये जाने की दशा में उत्तराखण्ड लेखपाल संघ द्वारा दिन 27/29 मई तक प्रदेशव्यापी सम्पूर्ण कार्यवहिष्कार धरना प्रारंभ किया गया था परन्तु जनता के कार्य होने में आयी समस्या को देखते हुए प्रदेशव्यापी सम्पूर्ण कार्यबहिष्कार को रोक दिया गया था।
आतिथि तक उत्तराखण्ड लेखपाल संघ की उपरोक्त समस्याओं का समाधान तथा संसाधन उपलब्ध न होने की दशा में संघ द्वारा अंश निर्धारण का सम्पूर्ण कार्यबहिष्कार जारी रहने का निर्णय लिया है। घिल्डियाल द्वारा बताया गया कि राजस्व परिषद लेखपालों का मानसिक शोषण करना बन्द करे अन्यथा की स्थिति में प्रदेशव्यापी हड़ताल को मजबूर होना पड़ेगा।




