नैनीताल। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखंड राज्य में सरकारी संगठन में प्रशासनिक पद पर कार्यरत सरकारी अधिकारियों के बीच तनाव और नींद की समस्या की पहचान और प्रबंधन मानस और नींद पर एम्स ऋषिकेश के मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा जिला कार्यालय नैनीताल सभागार मे प्रशिक्षण दिया गया।
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में आयोजित प्रशिक्षण, एम्स ऋषिकेश के डॉ रवि गुप्ता एवं डॉ दास द्वारा प्रदान किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य जनपद में तैनात उच्च अधिकारियों को कार्याें के दौरान उत्पन्न तनाव एवं अनिद्रा का सफल प्रबंधन एवं उपचार आदि से अवगत कराना है। प्रशिक्षकों द्वारा यह भी बताया गया कि वर्तमान जीवन शैली एवं अत्यधिक कार्यभार से कार्मिक एवं अधिकारी तनाव का शिकार हो रहे हैं जिस कारण कार्यों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कार्यशाला में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा कि वर्तमान समय में सरकारी अधिकारी बेहतर तरीके से अपना शासकीय कार्य व निजी जीवन में सामंजस्य बना सके, इस दिशा में यह कार्यशाला बेहद जरूरी है। आज के चुनौतीपूर्ण दौर में किस तरह से तनाव रहित रहकर समस्याओं से निपटकर बेहतर आउटपुट दिया जा सकता है, इसमें यह कार्यशाला मददगार साबित होगी।
जनपद नैनीताल में शून्य से 40 वर्ष तक के जनजातीय समुदाय की सिकल सेल स्क्रीनिंग का कार्यक्रम शुरू किया जाना है। सिकल सेल रोग नाम के एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में जाने वाले विकारों के समूह में लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया के आकार में बन जाती हैं। कोशिका जल्दी नष्ट हो जाती हैं, जिससे स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, और नसों में खून का बहाव भी रुक सकता है, जिससे दर्द होता है।
बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भागीरथी जोशी द्वारा अवगत कराया गया कि रामनगर और हल्द्वानी के अतिरिक्त भीमताल बेतालघाट विकास खंडों में भी जनजातीय समुदाय के लोगों का सिकल सेल स्क्रीनिंग किया जाना है। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने पंचायत, समाज कल्याण व स्वास्थ्य विभाग को समन्वय बनाकर आगामी जुलाई माह से जनपद के जनजातीय वर्ग के क्षेत्र एवं संख्या के सर्वे के निर्देश के साथ ही समस्त विभागों को उक्त कार्यक्रम में अपने स्तर से सहयोग प्रदान करने के निर्देश दिए।
कार्यशाला में एम्स ऋषिकेश केे डॉ रवि गुप्ता ने बताया कि बढ़ता मनोतनाव तेजी से बढ़ रहे मनोशरीरिक बीमारियों या साइकोसोमैटिक डिसऑडर का कारण बनता जा रहा है। स्टेªस या मनोदबाव का सकारात्मक प्रबन्धक नहीं कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले लेता है। जिसे डिस्टेªस या अवसाद कहा जाता है। इससे उलझन, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते है। जिसे साइकोसोमैटिक डिऑर्डर कहते है।
उन्होंने कहा कि मनोशारीरिक बीमारियों के लक्षण तो शारीरिक होते है, पर उसका मूल कारण मेन्टल स्ट्रेस या मनोतनाव होता है। पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है। मेन्टल स्टेªस से आलस्य, मोटापा, अनिद्रा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है। घबराहट या अनिद्रा एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल एवं सब्जियों का सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घंटे की गहरी नींद अवश्य लेनी चाहिए।
इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्माेन सेरोटोनिन, डोपामिन व एंडोर्फिन का संचार होगा। जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ रहेंगे। यह जीवन लचर्या हैप्पीटयूड कहलाती है जिससे मनोशारीरिक तथा भावनात्मक रोगों से बचाव सम्भव है। कार्यक्रम का संचालन मदन मेहरा ने किया। प्रशिक्षण में मुख्य शिक्षा अधिकारी के एस रावत, डीपीओ मुकुल चौधरी, डीएसटीओ एम एस नेगी, डा0 मनोज काण्डपाल, डा0 गौरव काण्डपाल, डा0 हरीश पाण्डे, मनोज बाबू, मदन मेहरा, बीएस काराकोटी, पंकज तिवारी,हरेन्द्र कठैत, देवेन्द्र बिष्ट, सपना, हेम जलाल, सुनिता भटट, कविता जोशी, रूपेश के साथ ही विभागाध्यक्षों द्वारा प्रतिभाग किया गया।