रामनगर में सूर्य ग्रहण के मिथक तोड़ने के लिए साइंस फॉर सोसाइटी ने लगाई कार्यशाला

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रामनगर कॉर्बेट हलचल

रामनगर में मंगलवार शाम सूर्यग्रहण के नजारे देखने के लिए कोसी बैराज पर साइंस फॉर सोसाइटी संस्था की ओर से कार्यशाला लगाई गई। इस दौरान सोसाइटी के सदस्यों ने लोगों को सूर्यग्रहण के नजारे दिखाएं साथ ही सूय गहण से संबंधित प्रचलित मिथको और अंधविश्वासों से लोगों को दूर रहने की अपील की।

रामनगर में मंगलवार को साइंस फॉर सोसायटी की ओर से सूर्यग्रहण के नजारे दिखाने के लिए कोसी बैराज पर कार्यशाला लगाई गई।

मिथकों में सूर्य ग्रहण

मिथकों में सूर्य ग्रहण को अमृत मंथन और राहू केतु नाम के दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है, इससे जुड़े अन्य कई अंधविश्वास भी हैं, जो कि आज भी भारतीय समाज और दुनिया में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। वियतनाम में लोगों की मान्यता है कि सूर्य ग्रहण एक विशाल मेंढक द्वारा सूर्य को खा जाने के कारण होता है। ग्रहण सदा से ही इंसान को जितना अचंभित करता रहा है, उतना ही डराता भी रहा है।

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सूर्य ग्रहण को लेकर आज भी हमारे देश में ये मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दौरान पकाया हुया कोई भी भोजन जहरीला व अशुद्ध हो जाता है। इसलिए लोग ग्रहण के दौरान उपवास भी रखते हैं, कि सूर्य की किरणों से गर्भवती महिलाओं व उनके अजन्में बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए उन्हें घर में ही रहना चाहिए।

साइंस फॉर सोसायटी की ओर से आयोजित कार्यशाला में अंधविश्वासों से दूर रहने की सलाह देती सोसाइटी की सदस्य उषा पटवाल।

नहीं पड़ता कोई नकारात्मक असर

दुनिया भर के वैज्ञानिकों और खगोलविदों ने इस तरह के किसी भी दावे को खारिज कर दिया है। सूर्य ग्रहण का मानव व्यवहार,, स्वास्थ्य व पर्यावरण पर कोई भी नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। सूर्य ग्रहण को सीधे नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए ये आंखों के रेटिना को प्रभावित कर अंधेपन का कारण बन सकता है।

रामनगर में साइंस फॉर सोसायटी की ओर से आयोजित कार्यशाला में काली फिल्म की मदद से सूर्यग्रहण देखते लोग।

सूर्य और सौर्य मंडल

ब्रह्मांड के अनगिनत तारों में एक तारा सूर्य हमारे सौर्य मंडल के मध्य में स्थित है। धरती पर भी जीवन का मुख्य स्रोत सूर्य ही है। सूर्य से ही धरती पर हर प्रकार का अस्तित्व है। सौरमंडल में स्थित सभी चीजें सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती हैं। सूर्य में हाइड्रोजन 73 प्रतिशत, हीलियम गैस की मात्रा 25 प्रतिशत के साथ बाकी आक्सीजन, निकेल, सिलिकन, सल्फर, मैग्नीशियम, कार्बन, नियोन कैल्शियम, क्रोमियम है।

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सूर्य कि सतह का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस है तथा इसके केन्द्र का तापमान 1.5 करोड डिग्री सेल्सियस है। धरती से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है, सूर्य से निकली किरणों को पृथ्वी तक पहुचने में 8.18 मिनट का समय लग जाता है। सूर्य का व्यास धरती से 109 गुना ज्यादा 1,391,400 किलोमीटर है। सूर्य पृथ्वी से इतना ज्यादा बड़ा है कि उसमें 13 लाख पृथ्वी समा सकती हैं।

कैसे लगता है सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण

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25 अक्टूबर 2022 को ब्रह्मांड के इस ग्रह से जुड़़ी एक रोचक घटना सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हम सभी जानते हैं कि हमारे सौर मंडल के पृथ्वी  समेत सभी ग्रह अपने उपग्रहों के साथ, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और वह चक्कर काटते हुए जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, तो चन्द्रमा की छाया पृथ्वी के एक हिस्से को ढक लेती है। जिस हिससे में ये छाया पड़ती है वहां पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।

इसी प्रकार सूर्य और चंद्रमा के बीच जब घूमते हुए पृथ्वी आ जाती है, तो चन्द्र ग्रहण दिखई देता है। सूर्य ग्रहण एक शानदार व दुर्लभ खगोलीय घटना है जो कि समय-समय पर होती रहती है, जिससे भयभीत होने की कोई आश्यकता नहीं है।

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